मनु ने दो विवाह किये, पहला विवाह इड़ा से, 'इड़ा का तात्पर्य बुद्धि, चालाकी, चतुराई, तर्क है।' श्रद्धा का तात्पर्य 'भावना, प्रेम, अपने पूर्वजों के प्रति आस all'avore इस प्रकार पूरे संसार का मानव समुदाय दो भागों मइगाय जो इड़ा के गर्भ से उत्पन्न हुये, वे चालाक, होशियार, तर्क- विर्तक करने वाले बने और जो श्रद्धा के गर्भ से उत्पन्न हुये, उनमे भगवान के प्रति आस्था, पूर्वजों के प्रति आदर, मंत्र-तंत्र और शास्त्रें के प्रति रूची और विश्वास पूरे विश्व के प्राणियों के प्रति अपनत all'avore a
मेरा जन्म इन हिमालय उपत all'avore जहां पर व्यास नदी अपनी पूर्णता के साथ प्रवाैहित तऋ यह वही मनाली है, जहां प all'avore यह वही मनाली है जहां भगवान वेद tiva A causa di ciò, जहां पग-पग पर देवता विचरण करते है मेरा जन्म इसी मनाली में हुआ, परन्तु मैं अभी न तो मन मनाली का महत्त्व समझ सका था और न मनाली का ऐतिहासिक पौराणिक ज्ञान ही मुझे थ।।।।।।।।।।। ।ume जबकि मैं अपने आपको बुद्धिजीवी और इतिहासज्ञ होने का दावा करता था।
अचानक मुझे सूचना मिली कि पूज्य गुरूदेव सपरिवार मनाली आये हुये हैं हैं मैं दौड़ कर उनके चरणों में पहुँच गया। वही शान्त, तेजस्वी मुखमण्डल, वही मुस्कुराता हुआ चेहरा, वही खिलखिलाहट और वहीं शान nello पूज्य गुरूदेव सन्यासी जीवन में यहां कापफ़ी समय तक रहे है, और यहां का चप all'avore वे जरूर कुछ विशिष्ट सन all'avore वह दूसरे ही दिन मुझे ज्ञात भी गय गया, जब उन्होंने रात्रि को लगभग 10 बजे मुझे कहा, मेरे साथ रोहतांग की तरफ़ चलना है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है चलन चलन चलनens उस रात्रि को मैंने पांच सौ भी ज्यादा सन्यासियों का सम्मेलन देखा, मैने देखा कि मनµ
जिनके तेज, ज्ञान और तपस्या से यह सारा भूमण्डल व्याप्त है है मैंने उन सन्यासियों में से 100 से भी ज्यादा वर्ष प all'avore उस रात्रि के चन्द्रमा के शीतल प्रकाश में उन सन्यासियों के तेजस्वी मुखमण्डल को देखा, सीने से भी ज्यादा नीचे की और बढी़ हुई शुभ्र दाढ़ी को देखा, लम्बी जटाये, ज्ञान से दैदीप्यमान आखें और साधना से अनुप्राणित तेजस्वी शरीर, वास्तव में ही एक अद्भुत दृश्य Quindi, जिसको शब्दों में बाधां नहीं जा सकता।
मैं अकेला गृहस्थ इसका साक्षी रहा हूँ कि पूज्य गुरूदेव को देखते ही विभिन्न कंदराओं और गुफ़ाओं से आये हुए वे वयोवृद्ध सन्यासी कितने अधिक खुशी से ओतप्रोत हुये थे, उनके पैरों में चंचलता आ गई थी, उन्हें ऐसा लगने लगा था कि जैसे उन्हें पूरे संसार का खजाना मिल गया हो। वे सभी बैठे हुये थे और सामने ही पूज्य गुरूदेव अपनी मन्द मुस all'avore पहली बार मैंने पूज्य गुरूदेव निखिलेश्वरानन्द जी के अद्भुत विराट व्यक्तित्व को देखा, पहली बार मैंने अनुभव किया कि यह सामान्य व्यक्ति अपने आप में विराटता को समेटे हुये है, और वास्तव में इनके पास एक अद्भुत ज्ञान, तपस्या और साधना का संगम है, तभी तो सैकड़ों-सैकड़ों सन्यासी उन्हें देखने के लिये व्यग्र है, उनके चरणों में बैठने के लिये आतु आतुर है, उनसे कुछ प all'avore
उस रात्रि को पूज्य गुरूदेव ने संस्कृत में तीन घन्टे तक धारा प्रवाह प्रवचन दिया। बीच-बीच में वे हिन्दी में भी बोलते थे। मैं सामान्य संस्कृत का विद all'avore मैंने देखा कि किसी भी विषय को वे कितनी गहराई के साथ समझाने में सक¨ उसकी कुशलता, क all'avore a पूज्य गुरूदेव इतना परिश्रम करने के बाद भी उतने ही उत्साहित, उल all'avore
पांच-छः दिन उनके उनके साथ रहने का सौभाग्य मिला, प्रत्यक्ष रूप से भी और अप्रत्यक रूप से भी भी भी भी मैंने अनुभव किया कि कुल्लू और मनाली को हम भली प्रकार से समझ ही नहीं पाये है, यहां पर तो नये शादी-सुदा जोड़े आनन्द मनाने आ जाते है परन्तु जिन कारणों से इसे देवताओं की घाटी कहा जाता हैं, उसके बारे में तो मुझे भी ज्ञान नहीं था जबकि मैने तो पूरी मनाली और शिमला तक का भू-भाग नापा हैं, क्योंकि मुझें पुरातत्व और इतिहास का शौक रहा है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है परन्तु उन पांच दिनों में उनके द्वारा जिन ऐतिहासिक स्थानों का ज्ञान प्राप्त हुआ, उनकी पौराणिक पृष्ठ भूमि मालूम पड़ी वह अपने आप में अद्वितीय है, मैं निश्चय ही इन पांच दिनों में गुरूदेव के साथ बिताये हुये क्षणों और बताये हुये ऐतिहासिक स्थानों तथा उनकी पौराणिक पृष्ठ भूमि पर एक पूरी पुस्तक अवश्य ही लिखूंगµi मैं इस छोटे से लेख में क्या वर्णन करू और क all'avore a जिनमें किकंर स्वामी, त all'avore
मैं चाहता तो यह था कि उन्होंने जिस प्रकार से पू ज्य गुरूदेव का स्वागत सत्कार और अभिनन्दन किया, उसका विस्तार से विवरण लिखता और मेरी इच्छा थी कि मैं उस पूरे प्रवचन को सरल हिन्दी में लिपिबद्ध कर पत्रिका पाठकों के सामने रखता जिससे कि यह एक इ तिहास का दस्तावेज बन सके परन्तु मैं यह सब तो उस पुस्तक म A causa di ciò che è successo, allora è successo. उन स्थानों का संक्षिप्त से विवरण देना चाहता हू Sì, जिन स्थानों के बारे में मनाली के निवासियों को तो क्या इतिहासकारों को भी जानकारी नहीं है, इन सभी स्थानों पर मुझे इन चार पांच दिनों में पूज् य गुरूदेव के साथ जाने का अवसर मिला और उन्होंने च लते-चलते ही कई नवीन बातें बताई, उन ऐतिहासिक और प ौराणिक स्थानों का ज्ञान दिया तथा उन स्थलों को द िखाया जहां वास्तविक पौराणिक घटनाएं घटित हुई थी ।
हिमालय में सात कैलाश कहे जाते है, उनमें से दो कैलाश इस हिमाचल प्रदेश में है जो कि विशेष रूप से दर्शनीय है, पूज्य गुरूदेव ने बताया कि माता पार्वती का यह जन्म स्थान तथा सती का तपोस्थल होने के कारण यहां शक्ति का प्रवाह विशेष रूप से हो रहा है। यहां के हर गांव का एक '' दोओं '' (देवता) होता है और इन लोगों लोगों को दोओं पर इतना विश्वास होत है ये छोटे से छोटे क कारscoय भी दोओं को को पूछ क क क ही है है है। छोटे से छोटे छोटे कारccioय भी दोओं दोओं को को पूछ पूछ क क ही है है है यह पूरा क्षेत्र चामुण्डा का विशेष शक्ति क all'avore al है है जहां पर दस पर्वत चोटियां है और प्रत्येक चोटी एक-एक महाशक या महाविदा से से संबंधित संबंधित संबंधित संबंधित संबंधित संबंधित से से से से संबंधित संबंधित संबंधित संबंधित संबंधित पiato माता छिन्नमस्ता, महाकाली, धूमावती, त्रिपुर सुन्दरी आदि महाविद्याओं की पर्वत चोटिया केवल मनाली के चारों ओर ही विद्यमान है, जहां पर उस महाविद्या से संबंधित साधना करने से निश्चय ही शीघ्र सपफ़लता और उनके दर्शन प्राप्त होते है।
ज्वाला युक्त पारrnoवती के दर्शन तो पूरे विश्व में केवल इसी क क्षेत्र में देखना संभव है, यदि ोहत रोहतांग दरे पर खड़े खड़े होकर देखे तो उन मह मह मह मह मह मह है है है ज ज सकत uire उसके चारों ओर 64 छोटी-छोटी चोटियां भी दिखाई देती है, जिन्हें चौसठ योगिनियां कहते है है इन दसो महाविद्याओं की सेवा में संलग्न हों, यही पर एक पहाड़ की चोटी का नाम कोघड़धार हैं जहां पर वायुविद्या जैसी तन्त्र क्रिया सम्पन्न की जाती है आज भी भाद्रपद मास की अमावस्या की रात्रि को यहां पूरे हिमालय के उच्चकोटि के तांत्रिक एकत्र होते है और वे अपनी अपनी विद्याओं का प्रदर्शन तो करते ही है, उनका मुकाबला भी देखने योग्य होता है बंटवाड़ा तथा मालाणग गांवो के व QI
यह क्षेत्र योगियों की साधना स्थली के साथ-साथ विशाल स्वरूप में उच्चकोटि की जड़ी बूटियां आज विद विद्यमान है है पूज्य गुरूदेव ने मुझे एक जड़ी-बुटी का छोटा सा पफ़ल तोड़कर खाने को दिया और मात्र पांच मिनिट के भीतर मुझे इतनी गर्मी लगने लगी कि उस भयानक सर्दी में भी अपना कुर्ता और बनियान उतारने के लिये बाध्य होना पड़ा और तब भी सारे शरीर से पसीना छूट रहा था। पूज्य गुरूदेव ने बताया कि सन्यासी भयानक सर्दी में भी केवल इस फ़ल को खा कर बिना वस all'avore इस पौधे का नाम उन्होने '' पल्लम '' बताया और इस प all'avore a रोहतांग दर्रे के आस पास ही मुझे पफ़ल और ये पौधे देखने देखने को मिले थे थे इस घटना को एक महीना बीत गया है, परन्तु अभी तक पूरे शरीर में गर्मी सी अनुभव करता हूँ, इसके साथ ही ताकत स्पफ़ूर्ति और चुसरती अनुभव करने लग हूँ हूँ
इसके अलावा भी लगभग 50-60 विभिन्न जड़ी-बूटियों संबंधित पौधों कि पत पत्तियों, फूलों और फलों का संग्रह किया है, जिसमें उस पुस्तक '' गुरूदेव के साथ पांच दिन 'में में चित चित चितres चित ूंग। पर इससे यह सुखद आश्चर्य होता है कि इस व्यक्तित्व को जड़ी बुटियों का भी कितना विषद ज्ञान हैं, हमें चाहिये कि हम इन पौधों का संरक्षण करें और पौधों की यह जाति जो नष्ट हो रही है, बचाने का प्रयास करें।
हिमाचल के प्र्रवेश मारrnoग (स्वार घाट) से उत all'avore
दयोली रास्ते में गुरूदेव ने एक प्राकृतिक चमत्कार दिखाया, यहां एक बहुत बड़ा पत्थर है जिसे 15-20 व्यक्ति भी परिश्रम कर हिला नहीं सकते, पर विशेष बात यह है कि कोई भी व्यक्ति अपनी कनिष्ठिका उंगुली से इस पत्थर को हिला सकता है। यह हम सब ने बारी-ारी से अनुभव किया, पर उसका रहस्य हम नहीं ज जान सके सके गुरूदेव को पूछने पर भी वे चुप रह गये, पर बाद में उन्होंने बताया कि इस पत्थर पर बैठ कर उच्च कोटि के मारण यह वैरी नामक स्थान से तीन किलो मीटर दूर है।
वैरी गांव से लगभग 12 किलोमीटर दूरी पर काला बाबा रहते है, जो कि प्राय दो सौ वर्ष की प्रप है है है उन उनccioहें वायु विदायु के स स औ भी भी कुछ कुछ ज है है है उन उनccioहें उनायु विदायु विदाय के के स केर भी भी कुछ कुछ ज है है है उन उन§हें वायु विदायु विदाय के के के के भी भी कुछ कुछ। है है है उन tiva गुरूदेव के साथ उनका मिलन अपने में दर्शनीय था, जिन काला बाबा को पूरा हिमाचल प्रदेश पूजत जब जब मैंने उन उनरूदेव गु के च च च चiché च च मे मे गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु tiva ha
वरमाणा कस्बे के पास में ही '' वटवांड़ा '' गांव हैं जो कि पूरा का पूरा तांत्रिक गढ़ है। कहते है की जब लंकापति रावण बीमार हो गया था, और उसका कहीं पर भी इलाज नहीं हो पाया तो इसी गांव में रहकर उसने अपना इलाज करवाया था। आज के इस वैज्ञानिक युग में भी यह चमत्कार जा जा सकत है कि, यहां पर दूध से भरकर कटोरा कोई व व्यक अपने अपने स स स दे दे ब च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च tiva कटोरा खाली हो जाता है। कहते है hi यह चमत्कार मैंने तो गुरूदेव के साथ देखा ही, इसके बाद भी 15-20 लोगों को जाकर अहसास कराया।
इसे सुखेत भी कहते है, शुकदेव के द्वारा बसाया हुआ यह गाँव अपने आप में में महत all'avore
पूज्य गुरूदेव ने बताया कि यहां से किलो मीटर दूरी पर कमरूनाग गांव है, जो महामुनी पराशर की तपस तपस है है इसके इसके पास ही योगी की की तपस तपस स स र 'िव ग है है इसके इसके पास ही योगी की की तपस तपस तपस स स र' ग ग है है इसके इसके पास ही योगी की की तपस तपस तपस स′ 'स′' रिव eria ग है, इसके इसके पास ही योगी की की तपस तपस तपसendere उसके आस पास तिब्बत के लामा लोग आज तपस्या करते हुये दिखाई देते है है
मनाली से शिमला के रास्ते में मण्डी स्थान पड़ता है, जो अत्यन्त प्रसिद्ध है Da 80 a XNUMX a XNUMX गुप्त मन्दिर है। कुछ समय यहां रहने से व all'avore आश्चर्य की बात यह है कि ये मन मन्दिर बिल्कुल पास पास में है है है है है है है में में यहां परमहंस नागा बाबा की समाधि देखी, आजकल भी यहां नागा बाबा रहते है, कहते है कि उसके में काफ़ी सत्यता है है है
इसको कैलाश कहा जाता है, प्रकृति की दृष्टि से यह एक अद्भुत पर्वत खण्ड है यही पर भगवान शिव पत पत्नी गौरी के माता पिता रहते थे थे गौरी नित्य यहां से कैलाश तक को रिझाने के लिये जाया करती थी थी आते और जाते समय मां गौरी केसर छिड़क दिया करती थी, जिससे कि रास्ता भूल न जाये। आश्चर्य की बात यह कि आज स सiché में भयंकर बर्फ गिरने के बावजूद भी केसर के रंग की स साफ देखी जा सकती हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं
इसके अलावा हमने कूल्लू मे रघुनाथ जी मन्दिर, बिजली महादेव का मन्दिर आदि भी देखे देखे बिजली महादेव के बारे में गुरूदेव ने बताया कि साल में एक बार इस शिवलिंग पर आकाश की बिजली गिरती है औ टुकडे-टुकडे हो जाता है फि फिर पुजरी इन टुकड़ों को जोड़ क rigere इसके अलावा मनाली में हिडिम्बा का मन्दिर भी देखा, जिसके पैरो के निशान tiva यह अत्यन्त प्राचीन मन all'avore
वास्तव में ही ये पांच दिन मेरे लिये प पांच जन्मों के बराबर थे, जब मैं पूज्य सदʻè
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