इसीलिये सूर्य को विश्वात्मा भी कहा जाता है। सूर्य सिद all'avore a सूर्य के किरण में स्थित सात प्रकार के कणिका (रंग) के कारण ही पृथ्वी में प all'avore सूर्य को काल भी कहा गया है। महाकल्प, कल्प, महायुग, युग, शताब्दी, वर्ष, ऋतु, मास, पक्ष, दिन -रात, घण्टा, मिनट, सेकण्ड आदि पृथ्वी सूर्य को परिकरमा केर पर प ही हुआ हुआ है बिना काल ज्ञान के जीवन में भी करना सम all'avore
सूर्यादि नवग्रहों के प्रभाव के कारण सम all'avore a इसी श्रृंखला में मकर सक्रांन्ति का विशेष मॹत्वईईसी इसी दिन से सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण की और गतीशील होते है है पफ़लस्वरूप धीरे-धीरे वातावरण के ताप में वृद्धि होती है, इसी को ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, या चैत किये है है बैश बैशाख, जयेष्ठ आदि म के के ूप रूप में मेंाola सूर्यदेव के कारण ही विश्व में ग्रीष्म, वर्षा, हेमन्त आदि मौसम परिलक्षित होते है अतः सूर्य के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं ज जµi
दक्षिण भारत में मकर सक all'avore a यह वहां का वर्ष भर का सबसे बड़ा त्यौहार है। चार दिन तक उत्सव चलता है। प्रथम दिवस के त्यौहार का नाम भोगी, द्वितीय दिवस संक all'avore मकर संक्रान्ति में दिन और रात बराबर समय का हैता । इसलिये किसी भी दो पक्ष में मित all'avore प्राचीन क Schose पुराणों में वर्णित है कि मकर सक्रांति से पूरे उत all'avore a उत्तरायण आते ही इच्छा मृत्यु धारी भीष all'avore इसलिये मकर संक्रान्ति को सिद्धि दिवस, मुक्ति दिवस भी कहा गया है है
corpo e sole – मनुष्य का शरीर अपने आप में सृष्टि के सारे क्रम को समेटे हुये है, और जब यह क्रम बिगड़ जाता है तो शरीर में दोष उत्पन्न होते हैं, जिसके कारण व्याधि, पीड़ा, बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। इसके अतिरिक्त शरीर की आन all'avore व्यक्ति के सोचने-समझने की बुद्धि क्षीण होती है, इन सब दोषों का नाश सूर्य तत all'avore क्या कारण है कि एक मनुष्य उन्नति के शिखर पर पहुंच जाता है, और एक व्यक्ति पूरा जीवन साम्य ही बना रहता है है।।।।।।।।।।।।।। है है है है है है है है है है है है है है है है है tivamente दोनों में भेद शरीर के भीतर जाग्रत सूर्य तत्व का । नाभिचक्र, सूर्य चक्र का उद all'avore शक्ति का स्त्रोत बिन्दु है, साधारण मनुष्यों में यह सुप्त अवस्था में होता है, न तो इनकी शक का सानान व्यक को को ज ज ज ज है है। ।ross इस तत्त्व को अर्थात् भीतर मणिपुर सूर्य चक्र को जाग्रत करने के लिये बाहर के सूर्य तत्त्व की साधना आवश्यक है।।।। है है है है है है है है है है है है है है है है है है हैiato बाहर का सूर्य अनन्त शक्ति का स्त्रोत है, और इसको जब भीतर के सूर्य चक्र से जोड़ दिया जाता है तो साधारण मनुष्य भी अन्नत मानसिक शक्तियों का अधिकारी बन जाता है और बीमारी, पीड़ा बाधायें उस मनुष्य के पास आ ही नहीं सकती हैं। इसीलिये भगवान सूर्यदेव से हमेशा आरोग्य लाभ की कामना की जाती है
किसी भी संरक्षण का और इसी दिवस को गई प्रत्येक साधना पफ़लप्रद होती है है मकर संक्रान्ति श्रेष eventuali मकर संक all'avore a स्वयं को प्रकृतिमय बना देने के कारण ही साधनाओं में सौम all'avore a मकर संक्रान्ति को हम नववर्ष के रूप में भी मनाते । इसी दिन के आगे- पीछे अंग्रेजी नववर्ष भी मनाया तहाई भारतीय संस्कृति में मकर संक all'avore A causa di ciò che è successo, è stato detto che è successo. जो देश इस मानव देह को छोड़कर जाने वाले जीव को संस्कार पूर्वक विदा देता है, वह उन्माद में विश्वास कर नहीं सकता।
सद्गुरूदेव ने हमारे ऋषि-मुनियों के 'गणना-चितंन' क्रम को मुखरित करते हुये यह स्पष्ट किया था, कि वास्तव में मकर संक्रान्ति का पर्व केवल शरद ऋतु के उपरांत आने वाली सुखद ऊष्मा के स्वागत का ही अवसर नहीं है, वरन् साधना-पर्व भी है, क्योंकि इस दिवस को सूर्य ब्रहाण्ड में ऐसी स्थिति पर होता है, जिससे साधना के द्वा उसकी तेजस्विता को अपने प्राणों में पूर्णता से से उता ाा सकता है है। को को अपने प्राणों में पूर्णता सूर्य का भारतीय चिंतन में केवल ग ग्रह के रूप में अथवा ज्योतिषिय ढ़ग से ही महत महत महत नहीं नहीं है, वरन् इसे साक्षात् प्राण व आत्मा का ही प प पा है है।
वैज्ञानिक जिस सूर्य को अक्षय स्त्रोत के रूप में देख कर कृतज्ञ हो रहे हैं, भारतीय चिंतन उसे युगों पूर्व ऊर्जा के स्त्रोत या बिजली बनाने के कारखाने के रूप में न देखकर साक्षात् जीवनदाता के रूप में वन्दित करता आ रहा है। इसलिये हम सूर्य को देवता के रूप में नित्य अर्ध्य, पूजन, नमस्कार करते है स Schose
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