नीलम शनिदेव का प्रधान रत्न है। मुख्यतः नीलम दो प्रकार के होते है जलनील और इंन्थलल और इंन्थ जिस नीलम में मधयभाग में सफ़ेद रंग होकर इर्द-गिर्द नीली छटा रहती है य या संपूर Quali 'रकम मुटकी 'नीलम कहते है। मोर पंख के रंग का नीलम सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह चमकीला होता है तथा पतली-पतली नीली किरणे- सी निकलती दिखाई देती है है
नीलम रत्न धारण करने से नैतिकता का प्रभाव बढ़ता त इस रत्न को धारण करने से आर्थिक अड़चने दूर होती हे साथ ही सुख-संपति-वैभव प्राप्त होता है। इसको धारण करने से स्वतः ही खाँसी, रक्त विकार, विषम ज्वर आदि रोग नष्ट हो जाते है बौद्ध धार्मियों के अनुसार नीलम धारण करने से हृदय विकार उत्पन्न न होकर मन हमेशा प्रसन्नचित रहता है।
मेष, वृष, तुला, वृश्चिक लग all'avore शनि मकर तथा कुम्भ राशि का स्वामी है। यदि एक राशि श्रेष्ठ भाव में तथ तथा दूसरी अशुभ भाव में हो हो तो नीलम पहने पहने, अपितु यदि शनि की दोनों राशिय जन अवश ध ध में में शरेष भ भावों पावों पावों पावों पावों भावों भावों भावों भावों भावों भावों भावों भावों भendere
मंत्रों द्वारा प्राण प्रतिष्ठित नीलम न्यौछावर5100/िवरXNUMX/िवर
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