Quando si festeggia Dev Uthani Gyaras?
o Prabodhini Ekadashi
कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की ग्यारस के दिन देव उठनी ग्यारस अथवा प्रबोधिनी एकादशी सम्पन्न की जाती है है यह दिवस दिवाली के ग्यारहवें दिन आता है। इस दिन से सभी मंगल कार्यों का प्रारम्भ होता है। इस वर्ष प्रबोधिनी एकादशी 04 नवंबर 2022 को सम्पन्न की जायेगी।
प्रबोधिनी एकादशी अथवा देव उठनी ग्यारस का महत् व
हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का महत्व सबसे अधिक माना जाता है इसका कारण यह है कि उस दिन सूर्य एवं अन्य गृह अपनी स्थिती में परिवर्तन करते हैं, जिसका मनुष all'avore इन प्रभाव में संतुलन बनाये रखने के लिये व्रत का सहारा लिया जाता है है व्रत एवं ध्यान ही मनुष्य में हने रहने का गुण विकसित करते है है
इसे पाप विनाशिनी एवं मुक्ति देने वाली एकादशी कहा जाता है है पुराणों में वर्णन है कि इस दिन के आने से पहले तक गंगा स्नान का महत्व होता है, इस दिन उपवास रखने का पुण्य कई तीर्थ दर्शन, हजार अश्वमेघ यज्ञ एवं सौ राजसूय यज्ञ के समान माना गया है।
इस दिन का महत्व स्वयं ब्रह्मा जी ने नारद मुनि क Per quanto riguarda, उन्होंने कहा था इस दिन व्रत करने से ए A proposito, रात्रि भोज से दो जन्म एवं पूर्ण व्रत पाल न से साथ जन्मों के पापों का नाश होता है और साथ ही कई जन्मो का उद्धार होता है एवं बड़ी से बड़ी मनोकामना पूर्ण होती ह ै।
इस दिन रात्रि जागरण करने से कई को म मरणोपरांत स्वर्ग मिलता है जागरण का बहुत अधिक महत्व होता है, जिससे मनुष्य अपनी इन all'avore
इस व्रत की कथा सुनने एवं से 100 गायो के दान के बराबर पुण्य मिलता है
किसी भी व्रत का फल तब ही प्राप्त होता हैं जब वह नियम अनुसार रहकर विधि-विधान के साथ सम्पन्न किया जाता है है इस प्रकार ब्रहogo जी ने इस ग ग्यारस अथवा प्रबोधिनी एकादशी व्रत का महत्व नारद जी बत बताया एवम प्रति कारscoतिक म म में इस इस व प प कोrigur
Prabodhini Ekadashi o Dev Uthni Gyaras
metodo di adorazione veloce
इस दिन सूर्योदय से पूर्व (ब्रह्म मुहूर्त) उठकर नित्यकर्म, स्नान आदि करना चाहिये। अगर स्नान के लिये नदी अथवा कुँये पर जाये तो अधिक शुभ माना जाता है है साथ ही सूर्योदय के पूर्व ही व्रत का संकल all'avore इस दिन निराहार व्रत किया जाता है, दूसरे दिन बाrdit कई लोग इस दिन रात्रि जागरण कर नाचते, गाते एवं भजन करते है है इस दिन बेल पत्र, शमी पत्र एवं तुलसी चढ़ाने का थ्हत
तुलसी विवाह कब मनाया जाता है उठनी ग्यारस अथवा प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का महत्व होता है है यह तुलसी विवाह देव उठनी एकादशी के क कारscoतिक मास शुक्ल पक्ष ग all'avore a
tulsi storia del matrimonio
तुलसी, राक्षस जालंधर की पत्नी थी, वह पति व्रता सतगुणों वाली नारी थी, लेकिन पति के पापों के कारण दुःखी थी थी थी थी थी थी थी थी दुःखी दुःखी दुःखी दुःखी दुःखी दुःखी दुःखी दुःखी दुःखी दुःखी क tiva इसलिये उसने अपना मन विष्णु भक्ति में लगा दिया थि जालंधर का प्रकोप बहुत बढ़ गया था, जिस कारण भगवान विष्णु ने उसका वध किया। अपने पति की मृत्यु के बाद पतिव्रता तुलसी ने सतीधर्म को अपनाकर सती हो गई गई कहते है, उन्ही की भस्म से तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ और उनके विचारों एवं के क कारण ही तुलसी का पौधा गुणकारी बना।। ।rigur तुलसी के सदगुणों के कारण भगवान विष्णु ने उनके जन जन्म में उनसे विवाह किया। इसी कारण से हर साल तुलसी विवाह मनाया जाता है।
इस प्रकार यह मान्यता है कि मनुष मनुष्य तुलसी विवाह करता हैं, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है है इस प्रकार देव उठनी ग्यारस अथवा प all'avore घरों में कैसे किया जाता हैं तुलसी विवाह
कई लोग प्रति वर्ष कार्तिक ग्यारस के तुलसी तुलसी विवाह अपने घरों में ही tiva
हिन्दू धर्म में सभी के घरो में का पौधा जरुर होता है, इस दिन पौधे के गमले अथवा वृद्दावन को सजाया जाता है है
L'idolo di Lord Vishnu è installato.
चारो तरफ मंडप बनाया जाता है। कई लोग फूलों एवं गन्ने के द्वारा मंडप सजाते है ।
तुलसी एवं विष्णु जी का गठबंधन कर पूostra
कई लोग अपने घरों में इस तरह का आयोजन कर पंडित बुलवाकर पूरी शादी की विधि संपन्न करते हैं
कई लोग पूजा कर ।। ॐ नमों वासुदेवाय नमः ।। मंत्र का उच्चारण कर विवाह की विधि पूरी करते हैं।
कई प्रकार के पकवान बनाकर कर उत all'avore
परिवार के सभी सदस्यों के साथ पूजा के बाद आरती सम all'avore
इस प्रकार इस दिन से चार माह से बंद मांगलिक कार्यो का शुभारम्भ होता है तुलसी विवाह के दिन दान का भी महत्व हैं इस कन्या दान को सबसे बड़ा दान माना जाता है। कई लोग तुलसी का दान करके कन्या दान का पुण all'avore
इस श शास्त्रों में गाय दान का भी महत all'avore