चित्रों में यदि छिन all'avore a सिर से खून के फव्वारे निकल रहे हैं और पास खड़ी हुई दो योगिनियां उस छलकते हुए खून को अपने मुंह में पी रही हैं हैं परन्तु यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण साधना है और प्राचीन काल से ही इस साधना को दस महाविद्याओं में सर्वाधिक प्रमुखता दी गई है क्योंकि यही एक मात्र ऐसी साधना है जो वायुगमन प्रक्रिया की श्रेष्ठतम साधना है।
Coltivazione del processo di movimento dell'aria
दस महाविद्याओं में से केवल यही एक स साधना है, जिससे साधक अपने शरीर को सूक्ष्म आकार देकर आकाश में विचरण कर सकता है और वर वापिस पृथरवी पर ूपर और आकب आक सकत सकतर ।र प्राचीन शास्त evidi
आज का विज्ञान भी इस बात को स्वीकार करने लगा है कि यदि शरीर में विशेष वर्णों (या अक्षरों-जिन्हें अक्षर मंत्र कहा जाता है) की ध्वनि को निरन्तर गुंजरण किया जाये तो शरीर स्थित भूमि तत्व का लोप हो जाता है और शरीर वायु से भी हल्का हो कर आकाश में ऊपर उठ जाता है। जब उसी वर्ण या मंत्र का विलोम मंत्र जप या विलोम क all'avore a
Nessuna उन्होंने यह स्वीकार किया है कि बिना भारतीय शास्त्र अथवा बिना भारतीय तंत्र को समझे इस क्षेत्र में पूर्ण सफलता नहीं मिल सकती सकती।।
जब भूमि तत्व का लोप हो जाता है, तो मनुष्य का शरीर गुरूत्वाकर्षण से मुक्त हो जाता है और वह ऊपर उठकर शूनर शूनर में विच विचरण करने लग जात है है ऐसी स्थिति में उसका शरीर हवµi इस प्रकार की सिद्धि के लिये भारतीय तंत all'avore
realizzazione invisibile
यद्यपि विशेष रूप से तैयार की हुई 'छिन्नमस्ता गुटिका' से व्यक्ति अदृश्य हो सकता है, परन्तु रसायन का श्रेत्र अपने आप में अलग है और अब भारतवर्ष में पारद संस्कार करने वाले व्यक्ति बहुत कम रह गये हैं जो कि सभी बावन संस्कार सम्पन्न कर सकें और अदृश्य गुटिका को तैयार कर सकें जिसे छिन्नमस्ता गुटिका कहते हैं और उसे मुंह में रखते ही व all'avore
परन्तु यही क्रिया मंत all'avore यदि साधक निश्चय कर ही ले और इस तरफ पूरा प all'avore a ऐसी स्थिति में वह तो प्रत्येक व all'avore ये दोनों ही क्रियायें या ये दोनों स साधनायें अपने आप में अत all'avore ये ही दो ऐसी साधनायें हैं, जिसकी वजह पूरा संसार भारत के सामने नतमस्तक रहा है तिब्बत के भी कई लामा इस प्रकार की विद्या सीखने के लिये भारतवर्ष में आते रहें और उन्होंने श्रेष्ठ साधकों से छिन्नमस्ता साधना का पूर्ण प्रामाणिक ज्ञान प्राप्त कर इन महानताओं में सफलतायें प्राप्त की और अपने-अपने क्षेत्र में अद्वितीय सिद्ध हो सके।
determinazione
इस प्रकार की साधना के लिये दृढ़ संकल्प-शक्ति चाथ जो साधक अपने जीवन में यह निश्चय कर लेते हैं कि मुझे अपने जीवन में कुछ कर के दिखाना है, मुझे अपने जीवन में साधनाओं में सफलता पानी ही है और कुछ ऐसी साधनायें सम्पन्न करनी है, जो अपने आप में अद्वितीय हों, जो अपने आप में अचरज भरी हो और जिन साधनाओं को सम्पन्न करने से संसार दाँतों तले उंगली दबा कर यह अहसास कर सके कि वास्तव में ही भारतीय तंत्र अपने आप में अजेय और महान है, उन साधकों को दृढ़ निश्चय के साथ छिन्नमस्ता साधना में भाग लेना चाहिये।
pratica semplice
यह पूर्ण रूप से तांत्रिक साधना है, परन्तु तंत्र के नाम से घबराने की जरूरत नहीं है। तंत्र तो अपने आप में एक सुव्यवस्थित क्रिया है जिसके माध्यम से कोई भी सµ तंत्र के द्वारा निश्चित और पूर्ण सिद all'avore कि उन्हें अपने जीवन में निश्चय ही छिन all'avore
यों तों पूरे वर्ष में कभी भी किसी भी दिन से छिन्नमस्ता साधना प्रा की की ज जा सकती है, परन वैशाख शुक शुकκ त्रयोदशी अरथ 14 मई XNUMX मई छिनरत छिनरें समरें यह साधना अभी तक सर्वथा गोपनीय रही है परन्तु जो प all'avore
Chhinnamasta Sadhana
साधक स्नान कर पूजा स्थान में काली धोती क कर बैठ जायें और सामने लकड़ी के बाजोट पर कलश स्थापन कर दें दें दें दें दें दें दें दें दें दें दें दें दें क क क क क क■ उसके बाद साधक कलश के सामने नौ चावलों की ढेरियां बनाकर उस पर एक-एक सुपारी रख कर उन नौ ग्रहों की पूजा करें और फिर एक अलग पात्र में गणपति को स्थापन कर उनका संक्षिप्त पूजन करें।
इसके बाद अपने सामने एक लकड़ी के बाजोट पर नया काला वस all'avore a इन रेखाओं के मध्य में सिन्दूर लगायें, सिन all'avore इन सोलह स्थानों पर पान nessuna फिर हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर इस प all'avore
इस प्रकार ध all'avore इसके बाद सामने शंख पात्र स्थापित कर 'ऊँ शंखायै नमः' उच्चारण करते हुये उस शंख में जल, अक्षत और पुष्प डालें, फिर इस शंख दोनों दोनों हाथों में लेकर भगवती छिन्नमसा का ध्यान करते हुये निम मंत मंता सेाहन
ऐसा कह कर हाथ में लिये पुष पुष्प और अक्षत को इन सोलह घृत धाराओं के सामने चढ़ा दें फिर हाथ में जल लेकर निम्न विनियोग पढ़ कर जल छोड़ ं
इस साधना में वायु गमन छिन all'avore यह छिन्नमस्ता साधना के प्रत्येक अक all'avore फिर इस यंत्र को अलग पात्र में जल धो कर स्नान करा इस पर कुंकुम की सोलह बिन all'avore
लघु प्राण प all'avore उस पर पुष्प समर्पित करें, अक्षत और भोग लगायें, फिर यंत्र के सामने एक त्रिकोण बना कर उस पर चावल की ढेरी बनाये और शुदर शुद घृत घृत क दीपक दीपक दें दें दें फिर इस दीपक का पूजन चन्दन, पुष्प, धूप, दीप नैवेद्य से करें और पूजन के तुरन्त बाद दोनों हाथों से दीपक बुझा दें औरणरणाम करें। तत्पश्चात् छिन्नमस्ता के मूल मंत all'avore
जब 11 माला मंत all'avore इस प्रकार साधना सम्पन्न होती है, साधक को नित्य इसी साधना को करना च च च च च च च ग ग्यारह दिन तक साधना करने पर इचरछित सिद्धि पाप होती होती होती होती होती
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