जो nessuna Nessuna
जो अघोर हैं, घोर है, घोर से घो घोरतर है और जो सर्वसंहारी nessuna मनुष्य जीवन की प्रथम आवश्यकता है, मन और तन का स्वस्थ होना, स्वस्थ शरीर से ही हमारे मन की वृत्तियां स्वस्थ होती हैं, स्वस्थ मन से श्रेष्ठ इच्छाओं की उत्पत्ति होती है, श्रेष्ठ इच्छाओं से क्रिया शक्ति में वृद्धि और क्रिया शक्ति से ही श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है। इसीलिये शरीर और मन दोनों का स्वस्थ होनµi साथ ही स्वस्थ और प्रसन्न व all'avore a जब तीनों में एकता का सामंजस QI
स्वः प्रयास से तो मनुष्य निरन्तर प all'avore a गलत खान-पान, दूषित वातावरण, सामाजिक गरिमा में ह्रास, मर्याद⁄ens ऐसे में आवश्यक है कि चिंतनशील साधक शक्तिमान परमपिता परमेश्वर शिव से शक्ति तत्व ग्रहण कर अपने रोम-प्रतिरोम में आत्मसात करे, क्योंकि एकमात्र शिव का रूद्र स्वरूप ही जीवन के सभी रूदन भाव अर्थात् व्याधियों, विकृतियों को जड़ मूल से समाप्त करने वाले देव हैं।
रूद्रशः महामृत्युंजय शक all'avore a जिससे तन-मन में सामंजस्य स all'avore a
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