मिथिला प्रदेश में लंक Schose ऋषि-मुनि उनके अत्याचारों से त्रस्त और भयभीत थे, वह राज्य कर के रूप में ऋषि-मुनियों का शोणित लेकर अपना विनारी घट भरने लगा। इस nessuna जब रावण को इस बात का आभास हुआ, तो स स्वयं उस घट को सदानारी से पूर्व लाकर मिट्टी के नीचे गाड़ दिया। सहस्त्रें वर्ष बाद उसी घट दुष्परिणाम स्वरूप सम्पूर्ण तीरभुक्ति क्षेत्र में भी दुर्भिक्ष के प्रभाव से अकाल पड़ पड़ गय।। इसी अकाल के निवारण के लिये मह महाराज जनक ने चल चलाया और उसी हल के फµ
सीता के चरित्र के विषय में कुछ कहना समुद्र को ओस चढ़ाना मात्र है, फिर भी इतना अवश्य कहा जा सकता है, कि ये सम्पूर्ण नारी जाति की श्रृंगार हैं, इनके जैसा त्यागी, सहनशील, धैर्य, पतिव्रता धर्म का पालन किसी ने नहीं किया। जिस प्रकार शिव की शक्ति अन्नपूर्णा हैं और श all'avore सीता शक्ति हैं और श्रीराम शक्तिमय, श्री चण्डी में जो महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती रूप में असुरनाशिनी हैं, वही रामायण में असुरनाशिनी कालरात्रि हैं, रावण की सभा में हनुमान ने कहा था-
रावण! जिन्हें तुम सीता समझते हो, जो आज तुम्हारे घर में अवस्थित हैं, उनके स्वरूप से तुम परिचित नहीं, वे कालरत्रि ही सर्व लंका विनाशिनी हैं इस जगत् में सीता एक ही, हैं और रहेगी उनके जैसा रूप, गुण और लीला में दूसरा कोई नहीं हो सकता। उनका रूप अतुलनीय है। शुर्पणखा रावण को कहती है- राम की धर्मपत्नी विशाल नेत्रें वाली, पूर्ण चन्द्रमा के समान मुख वाली तथा अपने पति को अत्यन्त प्रिय है और सदा उनके अनुकूल आचरण एवं सेवा में तत्पर रहती है। उसके tiva वह इस संसार की दूसरी लक्ष्मी है, उसका तपाये हुये सोने के समµi देव कन्याओं, गन्धर्विनियों, यक्ष पत्नियों तथा अप्सराओं में भी कोई वैसी सुन सुन्दरी नहीं है उसका हृदय एक क्षण के लिये भी राम से रिक्त नहीं होरिक्त नहीं हों
लंका वापसी के बाद जब माता सीता के चरित्र की अग्नि परीक्षा हुई, तो वे व्यथित होकर लक all'avore मेरे लिये चिता तैयार करो। इस झूठे कलंक का टीका सिर पर लगाये मैं जीवित नऀ॰ं मैं जीवित नऀ॰ं कऀं वे पति, देवताओं और ब all'avore a
झूठी और मिथ्या अपवाद के कारण जब राम ने लक all'avo वे रोते-रोते कहती हैं-
पत्नी के लिये उसका पति ही देवता है, पति बन बन्धु है और पति ही गुरू है है इसलिये स्वामी का कार्य पत्नी के प प्राणों से भी प्यारा है है इसी प्रकार पाताल प्रवेश भूमि समाधि के भगवती सीत सीतµi
यदि मैं मन, वाणी और कर्म से श्रीराम का अर्चन करती हूँ तो पृथ्वी देवी मुझे अन अन्दर अवकाश दें दें यदि मेरा यह कथन सत्य है कि राम को छोड़कार किसी दूसरे को नहीं ज जानती तो भू-धात्री मुझे गर्भ में समाहित करें।।
इन तथ्यों से यह सिद्ध होता है कि भगवती सीता जैसी उच्च गुणों से युक्त, सुशील, सौन्दर्य के सभी अलंकारों से पूर्ण श्रेष्ठ चरित्र वाली स्त्री इस संसार में दूसरी कोई नहीं है, यह अलग तथ्य है कि राम को सामाजिक अपवाद के कारण लक्ष्मण के द्वारा सीता का त्याग करना पड़ा। लेकिन यह भी सत्य है कि जितना सीता राम के वियोग में दुःखी, संतप्त थी राम भी उतने दुःखी औ और संतप्त थे, फिर भी उन्हें परिवारिक, साम दवाब में मेंा मेंाग ा का पड़ा पड़rigur सीता के वियोग में राम का हृदय हर क्षण तड़फता रहाारहाा यही कारण था कि सीता के वाल्मिकी आश्रम जाने के बाद राम के चेहरे पर कभी भी प्रसन्नता का भाव ना आ प पाया।
सीता सतीत्व तेज के साथ उच्चतम् चरित्र भूर्भवः स्वः सर्वव्यापिनी चैतन्य रूप में सभी स्त्रियों में व्याप्त हैं, वहीं राम सभी पुरूष में पुरूषोत्तम चेतना, मर्यादा, आदर्श, कर्तव्य पालन, धर्म, संस्कृति, मानवीय मूल्यों की रक्षत्व चेतना के रूप में विद्यमान हैं। आज मानव को महाविनाश की गर्त से बचने लिये आवश आवश्यक है, कि वे सीत सीता और राम के आदर्श और चरित को अपना अभिन्न अंग अंग बन बन जिससे जिससे सम सम में में सके सके हो हो हो हो हो क क क क क क क हो हो हो हो हो हो हो हो हो क क क क क हो हो हो हो हो हो हो हो क क क क क क क क क क क क क क क हो हो हो अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन अभिन uire भगवान श्रीराम और माता सीता के आदर्श, चरित्र, गुण, मर्यादा को अपनाकर ही समाज में परिवर Quali साथ ही इस समाज को एक नई दिशा दी जा सकेगी।
भगवान राम और माता सीता के समान जीवन निर्माण के लिये प all'avore क्योंकि इस जगत् माया से पार होने और साधना सिद्धि के लिये जिन गुणों की अत्यन्त आवश्यकता होती है, वे गुण इन दोनों महाशक्तियों में पूर्ण रूप से समाहित है, जिनके आदर्शों पर गतिशील होकर व्यक्ति भौतिक और आध्यात्मिक पूर्णता प्राप्त कर सकता है।
È obbligatorio ottenere Guru Diksha dal riverito Gurudev prima di eseguire qualsiasi Sadhana o prendere qualsiasi altro Diksha. Si prega di contattare Kailash Siddhashram, Jodhpur attraverso E-mail , WhatsApp, Telefono or Invia richiesta per ottenere materiale Sadhana consacrato e mantra-santificato e ulteriore guida,