प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य सुखों प प्राप्ति और दुःखों की है औ और इन दुःखों की निवृति हो सकती है जब जब साधना के प्रभ से से हम शुद शुद हो हो सकें सकें। है जब जब साधन subito इसलिए साधनात्मक शक all'avore a
जीवन में कुछ घटनाएं घटती है, जिनका हमें पूर्वानुमान भी नहीं होता, वे अच्छी भी हो सकती है और बुरी भी, जो कार्य सामान्य मानव अपने प्रयत्नों से नहीं कर सकता, वह साधना की अदृश्य शक्ति के बल पर अपने जीवन की न्यूनताओं को दूर किया जा सकता है। अतः साधना tiva
यदि जीवन में यश, वैभव, प्रतिष्ठा की कमी हो, चेहरे पर तनाव की रेखाएं पड़ गई हों या प्रेम का अभाव हो तो साधक को चाहिए कि वह इस शाकम्भरी साधना को कर अपने जीवन की कमियों को पूरा कर लें। शाकम्भरी देवी अपने आराधक को वह सब कुछ में सम समर्थ हैं, जो उसकी इच्छा है यह अत्यंत ही गोपनीय एवं महत्त्वपूर्ण साधना है।
गुरूधाम में ऐसे अनेकों लोग आते है, जो अपने जीवन में अनेकों समस्याओं से ग्रस्त हैं, दुःखी हैं, पीडि़त है, कष्ट में जीवन जीते-जो मृतप्राय हो गये है और एक आशा की उम्मीद की किरण अपने मन में संजोय हैं, गुरूदेव से मिलने के लिए, कि शायद ऐसा कोई उपाय प्राप्त हो जाए और उनके जीवन में प परिवर्तन आ जाए, उनके कष्ट दूर कर पाये, अपने भ भाग का रोन रोते हुए हुए
जब वे गुरूदेव से मिल कर वापिस लौटते है, तो उनका चेहरा एक सुन्दर मुस all'avore a
ऐसे ही कुछ व्यक्ति जिनके चेहरे मुरझाए हुए, नीरस, जड़वत जैसे अब कुछ शेष रहा ही न हो जीवन में, जो ही लाश को अपने ही कंधे पर ढोए चले ज ज रहे हो, गुरूदेव से मिले। उनकी परेशानियों और दुःखों के कारण को जानकर उनकी समस all'avore
उनका रोम-रोम उनकी सफलता का परिचय देता प्रतीत रऋऋऋऋा उन्हें देखकर यह नहीं लगता था, कि वह है जो रोते हुए कुछ दिनों पहले गुरूदेव से मिलने आये थे थे अब उनके जीवन में खुशियां ही खुशियां थी, मानों धधकते अंगारों पर बंसत ने पाव रख दिये हों हों सूखा, बेजान सा जीवन जैसे पतझड़ के बाद सावन का मौसम आया हो हो उनके चेहरों से ऐसा ही लग रहा था पहले से दृढ़त दृढ़ता विश all'avore
साधना का तो मतलब ही यह है कि जो चाहें, वह प्राप्त हो जµi जब तक मंत्र के प्रति पूर्ण एक निष्ठा का भाव नहीं होगा, तब तक आप अपने आप को वहीं खड़ा पायेंगे, जहां से आपने चलना पारम्भ किया था।।
गुरूदेव के द्वारा बताई गई हर साधना, हर क all'avore
इस साधना में आवश्यक सामग्री शाकम्भरी शक all'avore A partire da 28 जनवरी शाकम्भरी पूर्णिमा को सम्प॰्न क। यह एक दिवसीय साधना है और रात्रिकाल में सम्पन्र ेक
सर्वप्रथम गणपति और गुरू पूजन सम all'avore तत्पश्चात् लकड़ी के बाजोट पर सफेद वस all'avore a मां शाकम्भरी की स्तुति करें
Siddhid Rishi Datri Cha Sada Nidhanishevani Il gelsomino è ornato di ghirlande e Durga distrugge il male.
Dà saggezza e distrugge sempre i guai. La madre è la madre del mondo e conosce la famiglia e protegge la famiglia.
La misericordia è la forma nel cuore ed è adorata e adorata dalla famiglia. È sempre adorata e studiata e distrugge sempre tutti i problemi.
Lei è la forma di Maya e la forma del devoto. Kularchika è la grande dea che dà felicità agli dei.
Lei è la madre di tutti che tutto pervade e tutto piace È di buon auspicio ed è la forma del Kalpa ed è sempre servita dal buon auspicio.
श्रद्धापूर्वक इसका 11 बार पाठ करें इसे 'शाकम्भरी स्तुति' बताया गया है जो अत अत्यन्त महत्तर्ण है है है है है है है है है है है है है है स्तुति का 11 बार उच्चारण करें।
मंत्र जप से पूर्व साधक हाथ में जल लेकर संकल्प करे कि मैं शाकम्भरी पूर्णिमा के अवसर पर शाकम्भरी देवी की पूजा करता हुआ, भगवती शाकम्भरी के यंत्र को अपने घर में स्थापित करता हुआ, इच्छाओं की प्राप्ति हेतु मंत्र जप सम्पन्न कर रहा हूं और हाथ में जल लिये ही साधक की जो भी इच्छाएं हो उसका उच all'avore इसके बाद 11 माला मंत्र 'शक्ति माला' से जप करें।
मंत्र जप के बाद हवन कुण्ड में लकडि़यां जला कर शुद all'avore यज्ञ समाप्ति के बाद भगवती मां दुर्गा और गुरू आरती सम्पन्न करें और जो शाकम्भरी देवी भोग लगाया हुआ हुआ है वह वह प प प प पrighe
अगले दिन किसी कुंवारी कन all'avore
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