नवरात्रि का विशेष पर्व अपने भीतर से अज all'avore यदि संसार विपत्ति सागर है, तो से पूर्ण रूप से बाहर निकलने के लिये शक्तिवान होनµ Tiva
स्व: आत्म शक्ति का निरन्त cercando अपने भीतर भावों की स्तुति का तात Qnare भवन यदि पूर्ण रूप से मजबूत है, तो चाहे कितने भी तुफान क्यों न आयें, झटके लगें विपरीत स्थितियां आये, जीवन रूपी भवन कोई क क त नहीं पहुंच सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती क क क क क क है है है सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती क क क क सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती सकती tiva
प्रत्येक मनुष्य बहुआयामी होता है। इस जीवन में हो विभिन्न प्रकार के रंग, तरंग, उमंग है, तो कभी हताशा-निराशा, परेशानी भी है। है है है है है है है है है है है जहां जीवन में सुख है, तो दुःख भी है. जीवन में पीड़ा हैं, तो आनन्द भी है। ये सारी स all'avore a इन सब बाधाओं और समस all'avore
त्री-शक्ति स्वरूप में महासरस्वती को ज all'avore परन्तु केवल ज्ञान शक्ति ही भगवती महासरस्वती की परिभाषा नहीं है, महासरस्वती तो पोषण और वर्धन की अधिष्ठात्री हैं, परम पिता ब्रह्मा इन्हीं के द्वारा सृष्टि की रचना करते हैं, यही वह चेतना है, जिसके द्वारा संसार में निरन्तर वर्धन होता है और मातृ शक्ति का स्वरूप ही शीतल, कोमल, वातस्लयमय व पोषण-वर्धन स्वरूप में होता है, मां सरस्वती इसी शक्ति की अधिष्ठात्री हैं, जो प्रत्येक दशा में अपने भक्तों पर वरमुद्रा बनायें रखती हैं, यही वरदायिनी शक्ति हैं, इन्हों से सारे संसार को वर्धन की चेतना प्राप्त होती है और व्यक्ति अपने कार्यों में निरन्तर प all'avore
नवरात्रि और बसंत पंचमी के चेतनावान क्षणों में चिन्तन कर्म ज्ञान शक्ति स्वरूपा महासरस्वती के वरमुद्रा की चेतना से आप्लावित होकर अपने जीवन में पोषण, वर्धन की क्रियात्मक शक्ति से युक्त होकर जीवन की विसंगतियों पर विजय प्राप्त करने की ऊर्जा स्व: आत्म शक्ति पराम्बा वरदायिनी शक्तिपात दीक्षा से प्राप्त कर सकेंगे। जिससे साधक त्रयमयी स्वरूप में क्रिया, इच्छा, वर्धन शक्ति से युक होगें और पराम्बा शक्ति स्वरूप में जीवन की विषमत विषमताओं, बाओं काओं संहाचित संहाचित ूप से हो में में जीवन जीवन की विषमत विषमताओं, बाओं क♦ साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आयु वृद्धि, कर्म शक्ति, उमंग, उत्साह, प्रसन nello
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