शक्ति की साधना, भगवती कामाख्या की साधना सौभाग्यशाली व्यक्ति ही अपने जीवन में सम्पन्न कर पाते हैं, और फिर आपका तो वास्तव में ही पुण्योदय हुआ है, क्योंकि नवरात्रि जैसे महान् पर्व पर ऐसी महत्वपूर्ण साधना सम्पन्न करने का निश्चय करते हैं। यह साधना आप के जीवन के समस्त सन्तापों, दुःख-दारिद्रय, कष्ट, प्रभाव, पीड़ा और बाधens
इस साधना से जहां जीवन के समस्त द्वादश भोगों की प्राप्ति होती है, वहीं यह साधना शरीर के अन्दर क े समस्त चक्रों के जागरण के लिए भी सहायक है, किसी भी प्रकार की अन्य साधनाओं में सफलता पाने के लिए भी कामाख्या शक्ति साधना का ही सहारा लिया जाता है।
इस साधना की सफलता के लिये 'सिद्धिदायिनी कामाख्या यंत्र' और 'कामरूपेण माला' एवं '9 मधुहारिणी कमल शक्ति बीज' आवश्यक है।।।।।। है है है है है है है है है है है आवश आवश आवश आवश आवश आवश आवश आवश आवश आवश आवश आवशiato साधकों को चाहिये कि 'दैनिक साधना विधि पुस्तक' के अनुसार गणेश और गुरू-पूजन करें तथा 1 माला गुरू मंत्र का जप करें।
साधक अपनी दायीं ओर चावल से स्वास्तिक बनाकर उसमें कलश स्थापित करके उसको जल से पूर्ण कर दें दें उसमें कुंकुम, अक्षत, पुष्प, एक सिक्का, दूब तथा एक सुपारी डाल दें तथ तथ उसमें आम के पांच पत्ते डाल दें और उस पर मौली बंधा हुआ एक नारख रख दें दें उसके बाद कलश को स्नान कराये और मौली बांधकर चारों दिशाओं के घट पर कुंकुम से तिलक करें तथµ
शक्ति प्रमोद आदि ग all'avore
disposizione
Hreen – Maya Beej
दुं – दुःख मिटाने व प्रतिष्ठा प्रदान करने में समन
र्गा - भौतिक सम्पति, सुख और सौभाग्य प all'avore
य - आध्यात्मिक चक्रों को जागृत करने और मारूत बीज समर्थ करने में सहायक
Om - Pranav che lega l'intero mantra.
नमः - हृदय बीज जिससे कि भगवती दुर्गा प all'avore
इस प्रकार यह आठ अक्षरों का मंत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सभी प all'avore
कामाख्या यंत all'avore यंत्र को बायें हाथ में रखकर दाहिने से कर प्राण प्रतिष्ठा हेतु निम्न मंत्र का उच्चारण करें-
यंत्र को प्लेट पर स्थापित कर दें। यंत्र का पूजन कर नैवेद्य अर्पित करें तथा 9 लाल रंग के फूल के के साथ कमल बीज निम all'avore
appropriazione
ऊँ Il saggio anche di questo Durga Mantra è Sri Narada.
Gayatri è il verso e Sri Durga è la mia divinità
Vinioga per cantare per ottenere tutti i frutti desiderati.
Karanyas
ह्रां ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै अंगुष्ठाभ्यां नम ः
ह्रां ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै तर्जनीभ्यां स्वा हा
ह्रां ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै मध्यमाभ्यां वौषट ्
Hran Om Hrim Dum Durgai Hum con gli avambracci
ह्रां ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै कनिष्ठिाकाभ्यां व्ं व्ं वीं
ह्रां ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै करतलकर पृष्ठाभ्फाकर पृष्ठाभ्फाकर
Anganyas
Hrain Om Hri Dum Durgaya Hridaya Namah
Hrain oom hrim dum Durgaya shirase swaha
Hrain Om Hrim Dum Durga Shikhai Vashat
Hrain Om Hriin Dum Durgaya Kavachaya Hum
Hrain Om Hrim Dum Durga Netraya Vaushaat
Hrain oom hrim dum Durgaya astraya phat
?
Era montata sulla spalla di un leone e adornata con vari ornamenti.
Il Mahadevi a quattro braccia indossava un velo sacro.
Era vestita di rosso e aveva un corpo come il sole di un bambino.
Sii una casalinga servita da schiere di saggi come Narada
Trivali valyopetad chiodo dell'ombelico suveshini.
प्रफूल्ल कमलारूढ़ां ध्यायेत् तां भव गेहिनीम ।।
culto posteriore
Aam Prabhaai Namah. ॐ Imayai Namah।
Con Jayai Namah Ri Sukshmayai Namah.
Telaio Vishuddhaayai Namah.
Con Nandini Namah.
ऊँ Suprabhaai Namah।
Aam Vijayayai Namah.
Ah Sarva Siddhidayai Namah.
Ashta Shakti Poojan
जं जयायै नमः विं विजयायै नमः कीं कीत्यै नमः प्र।
ॐ Pratyai Namah। ॐ Pram Prabhavai Namah। ॐ Shum Shuddhaayai Namah।
Io sono Medhaayai Namah. Shrum Shruti Namah.
madre di ogni successo
दुर्गा च कौशिको चोग्रा चण्डा माहेश्वरी शिवा।
विश्वेश्वरो जगद्धात्री स्थिति संहार-कारिणो 1 ।।
Yoga Nidra Bhagwati Devi Swaha Swadha Sudha.
सृष्टिराहुतिरेवोक्ता स्वाराणां शक्तयः क्थथऍां
कला माया रमा ज्येष्ठा स्तुतिः पुष्टिः स्तथिितिर।ऍग
Rati, Priti, Ghri, Niti, Virbhu, Tibhu. Tirunnatim ।।3।।
क्षितिः क्षान्तिः क all'avore
क्षुत्पिपासां स्पूहा लज्जा निद्रा चिदात्मथ्ा 4 थ्मिका
Girija Bharati Lakshmi Sacha Samjna Vibhavari
कादीनां शक्तयः प्रोक्ताः सर्व-सिद्धि-प्रदथ5थिक XNUMX
canto del mantra
इसके बाद भगवती कामाख्या मंत्र की 5 माला मंत all'avore
शीघ्र सिद all'avore
कामाख्या शक्ति साधना अद्वितीय एवं श all'avore साधक इस दस महाविद्या मंत all'avore
I mantra sono i seguenti:
प्रतिदिन निश्चित समय और निश्चित संख्या में मंत all'avore
नवरात्रि के दिनों में अनुष्ठान पूर्ण करना अत all'avore और यदि किसी कारण वश नित्य प्रति पूजन क क सकें तो प्रथम दिन पूजन अवश्य करें और माला से मंत्र जप तो नित्य सम्पन करें।
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