प्रत्येक युग में प्रत्येक देश में ऐसा क्षण आत Per esempio, कि जब देश भटका है और उस समय यदि वह ज्ञान का, च ेतना का रास्ता कोई बताता है, तो गुरू के शिष्य बत ाते है और अब आप शिष्य नहीं रहे, अपितु उस स्टेज पर Sì, जहां से आप छलांग लगा सकते हैं।
आप देश को मार्गदर्शन तब दे सकते जब आप में चेतना, उमंग, जोश, जवानी हो, एक उत्सर्ग करने की भावना हो, गुरू में अपने आपको सम समाहित करने की क क क हो हो हो
तुम बगुला मत बनो, हो सकता है तुम्हारे आस-पास बग ुले खड़े हो पर तुम राज हंस बनो तभी मेरी विशेषता ह ो पायेगी तभी मेरा गुरूत्व हो पायेगा।
क्या सांस लेना आवश्यक है? क्या जीवित रहना आवश्यक है? और अगर ये सब आवश्यक है, तो साधना भी आवश्यक है और साधना में सिद सिद के दो तत तत QI
शिष्य ही तो परिचय होता है इस जगत अपने गुरू का और इस गुण से सम सम QI
अमेरिका वापस 'ध्यान' की ओर संलग्न हो रहा है, क्योंकि विनाश का भयावह स all'avore सृष्टि को बचाना ही है और पूरा पश्चिम भारतवर्ष की ओर ताकेगा और अगर भारतवर्ष ताकेगा तो फि केवल आपकी ओर ही त ताकेगा आपके प प प ही ही वह वह वह वह चेतन scopre
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