देवी त्रिपुर भैरवी दस महाविद्याओं में छठी महाविद्या है जो सौम सौम्य कोटि की देवी मानी जाती है इन्हें ही माँ काली का स्वरूप माना जाता है। यह ऊर्ध्वान्वय की देवी है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार देवी त all'avore देवी त्रिपुर भैरवी का सम all'avore इनकी अभ्यर्थना उपासना से सभी बंधन, विपत्तियां समाप्त हो जाती हैं जीवन में काम, सौभाग्य और शारीरिक सुख के साथ आरोग्य सिद्धि के लिये देवी त्रिपुर भैरवी की अभ्यर्थना को विशेष महत्व दिया जाता है है
जो व्यक्ति देवी त्रिपुर भैरवी की साधना, मंत्र जप, पूजा करता है, उसे जीवन में देवी त्रिपुर भैरवी स च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च च tiva शोधन होता है, जिससे साधक के व्यक्तित्व में प्रखरता, उच्चता, दिव्यता की सुगंध का प all'avore इसके साथ ही साथ इनकी विशेषता यह है कि यह भौतिक सुखों पू पूर्ति में सर्वथा समर्थ है हमारे जीवन में चाहे किसी भी प्रकार का कष्ट हो, पीड़ा हो, बाधा हो, दुःख हो, दैन्य हो न्यूनता हो, दरिदरता, अभाव अभ अभ अभाव अभ अभ अभाव अभ अभ अभाव अभ अभ अभाव अभ अभ अभाव अभ अभ अभाव अभ अभ अभाव अभ अभ अभाव अभ अभ अभाव अभ अभ अभाव अभ अभens है।
इस हेतु त्रिपुर भैरवी जयन all'avore जिससे उसके जीवन में बाधाओं का शमन निरन्तर होरा थइा भूत-प्रेत एवं इतर योनियों द all'avore त्रिपुर भैरवी दीक्षा से जहां प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है, वहीं शारीरिक दुर्बलता भी समाप्त होती है, व्यक्ति का स्वास्थ्य निखरने लगता है, उसमें आत्मशक्ति जाग्रत होती है, जिससे वह असाध्य कार्यों को भी पूर्ण करने में सक्षम हो पाता है।
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