नवग्रह शांति तृष्टि तथा पुष्टि दोनों के आवश आवश्यक कर्म है है नवग्रह हैं- सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु। प्रत्येक ग्रह म Schose किसी-किसी ग्रह का कुप all'avore इन्हीं ग्रहों से सम all'avore मुख्य ग्रहों के पूजन के साथ-साथ इन अधिदेवों का पूजन भी विशेष महत्व रखता है है यदि मुख्य ग्रहों के पूजन के समय ग ग्रहों का भी सही ढंग से पूर्ण रूपेण पूजन नहीं होता है, तो सफलता की स्थिति कम ही देखने में आती आती है है है है है है आती आती आती आती आती आती आती आती आती आती आती.
इन अधिदेवताओं के पूजन का महत्व मुख्य ग्रहों के पूजन के समान ही बताया गया है 'छान्दोग्योपनिषद' में एक स्थान पर ग्रहों के पूजन के विषय में विवरण प्राप्त होता है, वहां पर स्पष क है, कि जिस देवत देवता या का पूजनरना है है है सrigट है है है कि जिस देवत देवता या देवी vuol उनके मण्डल में विभिन्न देवता कौन-कौन से हैं? यह जानना आवश्यक है। इसके अनुसार स्पष्ट होता है, कि व व्यक्ति अज्ञानता वश किसी देव य य देवी का पूजन करता है, तो ऐच्छिक सफलता संदिग्ध हो हो जाती है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है हैiato सिर्फ आधे-अधूरे पूजन से या साधना से किसी भी साधक को सफलता नहीं मिल सकती है, अपितु इस प्रकार साधना करने पर आपका समय भी व्यर्थ जाता है और धन भी व्यय होता है तथा आपकी समस्या जहां की तहा रह जाती है। उसका कोई निदान भी नही होता है, इसीलिये ग्रंथों में कहा गया है, कि सामान्य पूजन भी हो, तो उसे पूर्ण विधि-विधान से ही सम्पन्न करना चाहिये अन्यथा उनका प्रभाव व्यर्थ ही जाता है या फिर साधना विधि स्वयं गुरू से प्राप्त हुई हो, तो वह पूजन या साधना सफल होती है।
नवग्रहों के पूजन के साथ ही साथ ग्रहों के अधिदेवता का पूजन भी आवश आवश्यक है है अतः इन नवग्रहों के अधिदेवता का संक्षिप्त विवेचन प्रस्तुत है-
Dio- प्रथम ग्रह सूर्य के अधिदेवता ईश्वर को माना गहा गहा र भगवान शिव के विशेष स्वरूप को ईश्वर कहते हैं। वेदों में इन्हें विशुद्ध ज्ञानस्वरूप बतायईागया गयप ये अपने भक्तों को अतुलनीय ऐश all'avore इनके स्वरूप का ध्यान इस प्रकार से करें-
La testa e il collo del cigno sono la caverna di tutti gli esseri.
Quel Signore Supremo è onnipervadente e quindi onnipervadente è Shiva.
Umma- भगवती उमा द्वितीय ग्रह चन all'avore उमा को पराशक्ति कहा गया है। उमा पार्वती का ही स्वरूप है। ऋषि श्रेष्ठ भगवती उमा का ध्यान इस प्रकार करते हे
Il filo dell'asse, il loto, lo specchio e la brocca.
Uma li porta nelle sue mani e sono adorati anche dagli dei.
Skanda Devata- मंगल ग्रह के अधिदेवता स्कन्द कुमार है। ये भगवान शिव के अंश तथा माता पार्वती के ही एक स्वरूप स्वाहा देवी के पुत्र हैं इसी से इन्हें स्कन्द कुमार कहते हैं। इनके स्वरूप का ध्यान वर्णन इस प्रकार से है-
Il giovane è a sei facce e adornato con un pezzo di pavone.
Il dio è vestito di rosso e porta un grande pavone.
e un pollo e un campanello nella mano destra.
पताका वैजयन्ती स्याच्छक्ति कार्या च वामयोः। ।
Vishnu– विष्णु को बुध ग्रह का अधिदेवता माना गया है। पुराणों में विष्णु को सभी देवताओं से श्रेष्ठ माना जाता है है ब्रह्माण्ड के संचालक त्रिदेवों में से ये एक ईेववईेव विष्णु को पालनकर्ता माना गया है। इनका ध्यान इस प्रकार है-
यस्तं विश्वमनाद्यान्तमाघं स्वात्मनि संस्थिततं
सर्वज्ञमगलं विष्णुः सदा घ्यानाद् विमुच्यते। ।
?– ब्रह्मा बृहस्पति ग्रह के अधिदेवता है। ये विष्णु के नाभिकमल से उत्पन्न हुये हैं। इनके मुख से निरन्तर चारों वेद उच्चरित होते ंहहे ई इनका ध्यान निम्न प्रकार से है-
I quattro murava, i quattro braccia, i quattro vedici, l'onnipotente.
चतुर्दशांश्र्च लोकान् च रचयन्तं प्रणमाम्यहम्।
Indra– इन्द्र शुक्र ग्रह के अधिदेवता हैं। ये सन्तुष्ट हो जाने पर समस्त प्राणियों को बल, वीर्य, धन-धान्य, समृद्धि प्रदान करते हैं।। हैं हैं हैं हैं इनकी शक्ति अपरिमित मानी गई है। इनका स्वयं का लोक है जहां ये वास करते हैं। इनका ध्यान इस प्रकार से करना चाहिये।
Cavalcava un elefante bianco ed era abile nei fulmini
Medito nel mio cuore su Indra dai mille occhi la cui carnagione gialla.
SìYama è considerata la divinità che presiede il pianeta Saturno. Yama è il figlio di Lord Surya. È anche considerato il dio della morte. Il focus della loro forma è il seguente-
पाथः संयुतमेघसन्निभतनुः प्रद्योतनस्यात्णानो, ाा्मनो
Il corpo porta del bene ai pii e causa dolore ai peccatori.
Informazione
Yama è il signore della dea della moderazione e il signore delle schiere degli antenati e il portatore della verga.
?– काल राहु ग्रह के अधिदेवता है। संसार के समस्त पदार्थों पर काल का प्रभाव व्याप्त होता ही है प्रत्येक प्राणी काल द्वारा ही संचालित है। काल की अभ्यर्थना इस प्रकार से की जानी चाहिये-
स एव कालः भुवनस्य गोप्ता विश्वाधियः सर्वभूतेषूेषू
यस्मिन् युक्ता ब्रह्मर्षयो देवताश्च तमेवं ज्ञात्वा मृत्युपाशांश्छिनन्ति ।।
Chitragupt– चित्रगुप्त केतु के अधिदेवता हैं। चित्रगुप्त प all'avore चित्रगुप्त का ध्यान इस प्रकार करें-
Il gioco è fatto
Una penna a destra e questo foglio a sinistra.
Il gioco è stato fatto
स Schose
Nidhi Shrimali