दैवीय संरक्षण कैसे प्राप्त हो, इसके स साधक को थोड़ा सा प all'avore इन दोनों की समन्वित क्रिया से साधक दैवीय कृपा प all'avore वैसे भी प्रत्येक देवी, देवता, मनुष्य को हर पल, हर क्षण, रक्षा-सुरक्षा प all'avore आवश्यकता इस बात की है कि हम उनसे एवं आशीर्वाद प all'avore a जीवन में चाहे भौतिक पक्ष में उन्नति की बात हो अथवा आध्यात्मिक उन्नति एवं पूर्णता प all'avore अलग-अलग कार्यों हेतु शिव को वरदान स्वरूप उनकी शक्ति स्वरूप से इन दस महाविद्या की उत्पत्ति मानी गयी है, जिनकी साधना साधक अपनी समस्या के निवारण के लिए उचित मुहूर्त पर सम्पन्न कर सफल व्यक्ति बन सकता है।
दस महाविद्याओं में भगवती धूमावती साधना स्थायी सम all'avore a वास्तव में इस साधना को सम्पन्न करना जीवन की अद्वितीयता है है इस साधना को सम्पन्न करने के उपरान्त व all'avore a शत्रु बाधा व अन्य कोई भी बाधा उसके सम्मुख टिक नहीं प पाती है
इस साधना का तीव्रतम एवं शीघ्र अनुकूलता का प्रभाव मुझे उस समय देखने को मिला, जब एक व्यवसायी सज्जन मेरे पास आये और रोते हुए अपने कारोबार के बारे में बताने लगे, कि आज से छः माह पूर्व मेरा व्यवसाय बहुत अच्छा चलता था, किन्तु आज व्यवसाय पूर्णतः बन्द हो गया है, कोई ग ग्राहक माल खरीदने नहीं आत आत है, मेरे चारों ट all'avore रही हैं, कोई उपाय कीजिये, जिससे मेरा पुत्र किसी भी तरह से वापिस आ ज जाये।
मैंने गम्भीरता पूर्वक उनकी समस्या को सुना तथा उनके व्यवसाय स्थल तथा घर को देखने उनके साथ गया। सम QIORE che वे सज्जन आग्रह कर मुझे भी साथ ले गये। पूज्य गुरूदेव जी के चरण स्पर्श करने के उपरान्त मैंने उनकी समस्या का विवरण पूज्य गुरूदेव जी के समुख रखा, पूज्य गुरूदेव जी ने मेरी बात को गौर से सुनकर, उन्हें सांत्वना दी और उन सज्जन को धूमावती साधना करने की सलाह दी।
पूज्य गुरूदेव जी ने इस साधना के गोपनीय पक्ष को स्पष्ट करते हुए हुए, उन्हें साधना की सूक्ष्मता के बारे में निर्देशित कर, सफलता आशीादाद परदान।। घर आने के पश्चात् उन all'avore साधना आरम्भ करने के एक सप्ताह के अंदर उनका बालक घर वापस आ गया और साधना सम all'avore उन सज्जन व्यवसायी के लिए पूज्य गुरूदेव जी ने स साधना विधान स्पष्ट किया था, उसका लघु रूप इस प्रकार है-
Sadhana Vidhaan
धूमावती साधना मूल रूप से तांत्रिक साधना है। भूत-प्रेत, पिशाच तो धूमावती साधना से प्रकार गायब होते हैं, जैसे जल को अग्नि में देने पर जल वाष्प रूप में विलिन हो ज जाता है है है है है है है क्षुधा स्वरूप होने के कारण अर्थात् भूख से पीडि़त के के कारण इन्हें अपने भक्षण के लिये कुछ कुछ अवश्य चाहिये। अतः जब साधक इनकी साधना कर amici
इस साधना को धूमावती tiva अपने सामने बाजोट पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर स्टील की थाली रख दें, थाली में अंदर की तरफ काजल लगा दें दें दें दें दें दें दें दें दें दें दें लग लग लग लग लग scoperto धूमावती यंत्र को स्नान कराने के पश्चात् थाली में रख दें उसके समुख खड्ग माला स्थापित कर दें। यंत्र का पूजन सिन्दूर से कर, धूप एवं क का दीपक प्रज evidi
इसके बाद हाथ में जल लेकर संकल्प लें मैं (अमुक) गोत्र का (अमुक) पिता का पुत्र अमुक नाम का साधक पूर्ण क Quali के के के स भगवती भगवती धूम काधन का करहा हूँ क क को। न न न न न न न क क के के के के के के के के के के भगवती भगवती भगवती भगवती भगवती क कriguto ऐसा कहकर जल को भूमि पर छोड़ दें।
Dopo questo prendi l'acqua in mano e usala-
इसके पश्चात् धूमावती यंत्र के समुख पुष्प अरेपकतरेपकतर इसके पश्चात् खड्ग माला से निम्न मंत्र की 21 माला मंत्र जप करें-
साधना सम्पन्न होने के पश all'avore धूमावती स Schose साधना का प्रयोग गलत कार्यों के न करें, इसमें लाभ के स्थान पर हानि भी उठानी पड़ सकती है है है है है है है है है है है
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