समय का चक्र सदैव गतिशील है, इसकी गति अबाध है। मानव ने समय को पहचाना और इसकी गति स साथ मिलकर चलने का प्रयास किया। कभी-कभी मानव की गति समय से तेज प्रतीत होती है, तो कभी कभी धीमी अपने चिन्तन का थोड़ा विस्तार देकर ध all'avore और दैन्यता। 'रात', 'दुःख', 'दैन्यता' और 'मृत्यु' से मानव जीवन में असीम वेदन वेदना से भरे क्षण होते होते ऐसी अवस्था में आवश्यक है कि वह व्यक्ति दृढ़ता, धैर्य और सुविचारों का सहारा लेकर समय की दूसα अवस अवस से दिन दिन दिन ',' सुख ',' सम समccioपन और 'औ जीवन क क क।।। दिन दिन दिन दिन दिन' सुख ',' सम समccioपन औč 'औ य क क क।।। दिन दिन दिन दिन' सुख ',' सम समtopपन
इन्हें प्राप्त करने के प प्रत्येक व all'avore अपने प्रयास में सफल व्यक्ति को जब राजमार्ग प्राप्त हो जाये, तो उसे प्रयास कर इसी मार्ग पर चलना चाहिये, किन्तु इस बात को कहना जितना सहज है, उससे कहीं ज्यादा कठिन है इसको कर दिखाना, क्योंकि कभी-कभी ऐसे क्षण भी सामने आ जाते हैं, जब एक सबल सहारे की आवश all'avo
यह सबल अवलम्बन केवल और केवल मात्र सद all'avore a सद्गुरू के पास साधना nessuna साधना की क्रिया-पद्धति, विधि-विधान के बारे में पूर्ण जानकारी तो वही व्यक्ति दे सकता है, जिसने प परखा हो और उसमें सफलता अर्जित की की हो की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की कीens
गुरू किसी व्यक्ति का नाम नहीं होता_ गुरू का अर्थ है- 'ज्ञान' और ज्ञान दे, वही गुरू है है ऐसा समझ लीजिये कि यह पत्रिका ही गु गुरू है, जो समय-समय पर आपको दिशा-निर्देश देती रहती है और विभिन साधन के म म म म से यह बत बत बत बत बत रहती रहती हती हती है औ औ औ न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न tiva सकता है।
गुरू परम्परा द्वारा प्रदत्त यह लघु सोम अमृत प प्रयोग 'अपने-आप में अनन संभ संभावनाओं को समेटे, लघु होते हुये, भी अपने-आप में असीम विराटता को संजोये हुये हुये हुये हुये हुये हुये सोम का अर्थ है- चन्द्रमा, कपूर, शिव, जल, वायु, हवा औत जो इस प्रयोग को सम्पन nello ऐसा होता है, तो उसका दुःखी, मृतवत् जीवन जीवंतता में बदल जाता है, उसे जीवन को भली प प्रकार से जीने की कल आ जाती है एक एक नय नय नयµ अपने जीवन की हर परेशानी से, बाधा से और तनाव से मुक्ति प all'avore
'मानव' का अर्थ है- जीवन को उन्नति की ओर अग्रसर करना, ऊँचाई की ओर उठाना, एक श्रेष्ठ जीवन का निर्माण करना और अपने चरम लक्ष्य को प्राप्त कर लेना— और यह प्रयोग इसी कार्य की पूर्ति हेतु दिया जा रहा है, इस प्रकार है-
Sadhana Vidhaan
साधकों को चाहिये कि वे साधना सामग्री 'सोम यंत्र'एवं' अमृतेश माल्य ', जो मंत मंत्र चैतन्य हो, पहले ही मंगवाकर रख लें।।।।।।।।।।।। ख ख ख tivamente
इसके पश्चात् सोम यंत्र और अमृतेश माल्य को दोनों हाथों में रखकर मूल मंत्र का 1 घंटे तक क करें-
मंत्र जप के समाप्त होने पर गुरू आरती करें तथा 15 दिन के ब बाद समस्त सामग्री को नदी या कुएं प प्रवाहित कर दें।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। क क क क क क क कias यथासंभव साधना क Schose यह प्रयोग अकाल-मृत्यु भय, दरिद्रता निवारण, राज्य बाधा, सामाजिक बाधा व पारिवारिक उलझनों को समाप्त करने वाला एक लघु प्रयोग है, जो लघु होते हुये भी प्रभाव में विशाल है।
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