वास्तव में जीवन तो उसका कहा जा सकता है, जो अपने जीवन के लक QIORE ऋषियों ने भो पुरूष की इसी 'सिंहवत्' रूप में कल्पना की थी थी 'सिंहवत्' बनना केवल शौर्य प्रदर्शन की ही एक घटना नहीं होती वरन् सिंहवत् बनना इस कारण से भी आवश्यक हैं, कि केवल इसी प्रकार का स्वरूप ग्रहण करके ही जीवन की गति को सुनिर्धारित किया जा सकता हैं, अन्यथा एक-एक आवश्यकता के लिए वर्षों वर्ष घिसट कर उसे प all'avore
भगवान विष्णु ने तो एक हो हिरण्यकश्यप को समाप्त करने के लिए नृसिंह स्वरूप में, पौराणिक गाथाओं के अनुसार अवतरण लिया था, किंतु मनुष्य के जीवन में तो प्रतिदिन नूतन राक्षस आते रहते हैं, जो हिरण्यकश्यप की ही भांति अस्पष्ट होते हैं, यह अस्पष्ट ही होता है कि उनका समापन कैसे संभव, उनसे मुक्ति पाने का क्या उपाय हो सकता है? और यह भी सत्य है, कि यदि जीवन में अभाव, तनाव, पीड़ा (शारीरिक, मानसिक अथवा दोनों), दारिद्रय जैसे राक्षसों से एक-एक करके निपटने का चिंतन किया जाये, तो मनुष्य की आधी से अधिक क्षमता तो इसी विचार-विमर्श में निकल जाती है, शेष जो आधी बचती है, वह भी प प्रयास को सफल नहीं नहीं होने देती देती साथ ही जीवन के ऐसे राक्षसों से तो सामान्य प्रयास से ही नहीं व वरन् ऐसे क्षमता युक्त प्रय से से जूझना आवशायक होता है है है है जो जो जो जो जो जोrigo तभी जीवन में कुछ ऐसा घटित हो सकता हैं, जिस पर गर्वित हुआ जा सकता है
सामान्यतः साधना का क्षेत्र अत all'avore उसमें भक्ति जगत की भांति दिवास्वप्नों की मधुर लहर नहीं होतो, किंतु अन्तोगत्वा व्यक्ति का हित दीक्षा से ही साधित होता हैं, क्योंकि दीक्षा जीवन की कटु वास्तविकताओं का यथावत् वर्णन करने के साथ-साथ उससे मुक्त होने का उपाय भी वर्णित करती चलती है। वस्तु स्थितियों का विवेचन इस कारणवश आवश्यक होता है, जिससे साधक के मन में एक सुस्पष्ट धारणा बन सके, कि अन्ततोगत्वा उसको समस्या क्या हैं किस प्रकार से मुक्ति प्राप्त की जा सकती हैं? यहां नृसिंहावतार की संक्षिप्त व्याख्या केवल वर्णन-विवेचन ही नहीं, वरन् वह उपाय भी प्रस्तुत किया गया हैं, जिसके माध्यम से कोई भी साधक अपने जीवन को संवारता हुआ, अपने जीवन की उन समस्याओं पर झपट्टा मार सकता है, जो नित्य नये स्वरूप में आती रहती है। यह भी जीवन का एक कटु सत्य हैं, कि जब जीवन रहेगा तब तक ये समस्याये आती रहेगी। जिनके मन में सर्वोच्च बनने का भाव हिलोरे ले रहा होता है, वे अवश्य ऐसी दीक्षा प्राप्त कर अपने जीवन को एक नय नय ओज व क क्षमता दे सकते है है सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकतेiato
दीक्षा ही वह उपाय है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने जीवन की विषम स्थितियों और समस्याओं से निजात पा सकता है है
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