शिष्य सुजान बनना है और गुरु में आत all'avore
शिष्य को विश्वस्त तथा सुपा amici
शिष्य के लिये गुरु आज all'avore
शिष्य सदैव गुरु के सम all'avore
शिष्य को गुरु की सेवा कर ज all'avore
शिष्य को सदा गुरु-चरणों का चिन्तन करते रहना चाहिये तभी शिष्य ज्ञानोदय होकर दिव all'avore
सौभाग्यशाली शिष्य वही है जो प्रसन्न मन से श्रद nello
शिष्य गुरु को प्राप्त कर ही माया से मुक्त हो सकहा
श्रेष्ठ शिष्य सदा अपने आपको गुरु को समर्पित कर देने का प all'avore a
शिष्य भव-सागर को सहजता से पार कर लेने का माध्यम एकमात्र सेतु श्री गुरु ही है
शिष्य द्वंद्व धर्मों से प all'avore
शिष्य के मन, बुद्धि एवं वाणी पवित पवित्र करने का एकमात्र उपाय गुरुचरणों में निरन्तर नमन युक हो सेवारत रहना तथा चरणोदक का पान करना है है
शिष्य को सद्गुरुदेव के चरण कमल जहां पड़े, उस दि शा को प्रति दिन नमन करना चाहिये
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