सोमवार का दिवस भगवान शिव को समर्पित है यह व्रत मनोकामना की पूर्ति हेतु किया जाता है, जिससे निर्धनता दूर होकर घरिवार में सुख समृद समृद समृद्धि की की वृद।। सारे भय तथा कष्ट दूर होकर सुख और शांति मिलती है।
इस व्रत के देवता चन all'avore चन्द्रमा स्वयं औषधिपति हैं तथा उनकी किरणें शीतलता फैलाती हैं हैं इसी प्रकार यह व्रत स all'avore सोमवार के व्रत में चन्द्रशेखर शिव व माता पार्वती की पूजा की जाती है
किसी भी मास के प्रथम सोमवार से यह व्रत आरंभ किया जा सकता है, किन्तु प्रा विशेषकर सावन के दस सोमवार का व्रत विशेष महत्व रैखरै शास्त्रों के अनुसार कम से सोल सोलाह सोमवार का व all'avore इस दिन की पूजा में सभी सफेद वस्तुओं का प्रयोग तहोा इस दिवस भगवान शिव, माँ पार्वती, चन्द्रमा की विधिवत पूजा की जाती है, श्वेत फूलों की माला पहनाते हैं और शिवलिंग का दुगाभिषेक किया जा है है है इस व्रत में या तो फलाहार या दही-दूध, खीर एक समय खाया जा सकता है दान में सफेद कपडे़ या चांदी का सिक्का देते हैं। दिन में शिव साधना तथा चन all'avore
यह एक रात्रिकलीन साधना है। स QIORE सफेद वस वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा की ओर पीले असान पर बैठे व अपने समक्ष सद all'avore
ध्यान के बाद सौं शक्ति माला से निम्न मंत्र की माला जप करें।
सोलाह सोमवार या एक वर्ष जितने व व्रत का संकल all'avore
शौर्य और साहस के देवता मंगल इस वार के अधिष्ठूतइ वा ये पृथ्वी पुत्र हैं। इनके प्रसन्न होने से शत्रुनाश होता है। मंगल के व्रत से गरीबी दूर होती तथ तथा रक्त संबंधी विकार शांत होते हैं हैं महाबली हनुमान का जन्म मंगलवार को हुआ था, अतः इस दिन हनुमान जी की पूज पूजा होती है हनुमान जी के लिये व्रत और पूजन करने से मंगल ग्रह के दोष भी श शांत हो जाते हैं
किसी भी मास की अमावस्या के बाद के मंगलवार से यह व्रत शुरू किया जा सकता है यह व्रत किसी विशेष लक्ष्य प्राप्ति या फल की कामना से प्रांरभ किया जाता है तो से कम इक्कीस या पैंतालीस मंगलवार का वा करन का चाहिये। मंगल ग्रह का रंग भी लाल है और हनुमान जी पर भी लाल सिन्दूर चढ़ाया जाता है
अतः इस दिन की पूजा में सारी लाल वस्तुओं का प्रयोग होता है है प्रातः काल tiva लाल ही चन्दन घिस कर लगाते है। मंगलवार के दान में लाल रंग के, तांबे के बरतन आदि दिये ज जाते हैं हैं
मंगलवार को प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर लाल वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा की ओर मुख कर लाल आसन ग्रहण करें, अपने समक्ष सद्गुरू, भगवान हनुमान का चित्र व मंगल यंत्र स्थापित करें, लाल पुष्प चढ़ाये पूर्ण पंचोपचार पूजन के पश्चात हनुमान जी का ध्यान करें -
Canta 7 giri del seguente mantra con Hanuman Mala,
संकल्पित दिनों तक व्रत करने के पश्चात यंत्र न दी में प्रवाहित कर दे।
बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है और इस दिन के देवता बुध है जो चन्द्रमा के पुत्र हैं ग्रहों में इनकी स्थिति आकाश में चन्द्रमा के पहीस विद्या, वाणी कौशल और बुद all'avore इस व्रत को करने से व all'avore बुध के दिन जन्म लेने वाला बालक प्रतापी और बुद all'avore
किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से यह व्रत शुरू किया जा सकता है कम से कम सात बुधवार का व्रत अवश्य रखना चाहिये। बुधवार के व्रत में हरे रंग के वस्त्र धारण करने हया
इस दिन बुध देवता की धूप दीप नैवेद्य से पूजा सम्पन्न करते हैं, साथ ही हरे फलों का भोग अर्पित किये जाते हैं हैं खाने में व्रत खोलते समय मूंगा की दाल खिचड़ी ग all'avore
बुधवार की प्रातः काल स्नान आदि निवृत होकर स all'avore आपने सामने एक चौकी पर लाल वस QIORE
Il numero di serie è stato di 11 punti.
संकल्पित व्रत करने के पश all'avore
बृहस्पतिवार का व्रत देवगुरू बृहस all'avore नवग्रहों में बृहस्पति ग्रह सबसे बड़े हैं। इस व्रत से सारे ग्रह प्रसन्न हो जाते हैं। हृदय के परिष्कार के लिये यह व्रत करना चाहिये। देवगुरू होने के साथ बृहस्पति बुद्धि के भऀ देवत।ा
यह व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार से शुरू किया जा सकता है है कम से कम सोलह बृहस्पतिवार तक व्रत अवश्य करना चि।य इस व्रत में पीले रंग की वस्तुओं का ही प्रयोग किया जाता है भगवान बृहस्पति की पूजा में पीले पुष्प, पीले फल, पीले वस QIO
बृहस्पतिवार की प्रातः स all'avore a
अपने सामने सद्गुरूदेव जी, भगवान विष्णु का चित all'avore पीले पुष्प अर्पित करें, पीले फलों का भोग लागये व व्रत का संकल्प लें लें भगवान विष्णु का ध्यान करें-
Recitando il nome di Vishnu Sahastra, canta 9 giri del seguente mantra con Brihaspati Mala.
संकल्पित व्रत पूर्ण होने के पश्चात अन्तिम बृहस all'avore
यदि ज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति का शुक्र ग्रह अनिष्टकारी हो तो उसकी शांति के लिये शुक्रवार का व्रत लाभकारी सिद्ध होता है और यदि किसी का शुक्र ग्रह अनुकूल और प्रबल हो तो विद्वत्ता, वाणी कौशल और धन सम्पत्ति आदि सब उस व्यक्ति को स्वतः प्राप्त होती है ।
शुक्र तारा ढाई महीने के लिये अस्त होता है और उतने समय तक कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता शुक्रवार का व्रत लक्ष्मी देवी व संतोषी माता की पूजा के लिये विशेष दिन होता है, इनकी उपासना से जीवन में पुत्र, धन, व्यापार आदि भौतिक सुखों की प्राप्ति संभव होती है। शुक्रवार के व्रत वा उपवास रखने से देवी लक्ष्मी व माँ संतोषी प्रसन्न होती है, इस व्रत को शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार से शुरू किया जाता है और कम से कम इकतीस व्रत अवश्य किये जाने से ही उचित फल की प्राप्ति संभव होती है। इस व्रत में सफेद वस्तुओं का प्रयोग होता है। सांध्य क Schose
शुक्रवार प्रातः स all'avore अपने समने सद्गुरू, देवी लक all'avore पूर्ण पंचोपचार पूजन सम्पन्न करें। श्वेत पुष्प चढ़ाये खीर व बताशे का भोग लागये। माता लक्ष्मी का ध्यान करें-
लक्ष्मी चालीस का पाठ करें, शुक्र माला से निम all'avore
संकल्पित व्रत पूर्ण होने पर अन all'avore
सारे ग्रहो में शनि देवता का प्रकोप सबसे कष all'avore ये सूर्य की छाया नामक पत्नी से उत्पन्न पुत्र है। आकाश में शनिग्रह अत all'avore किन्तु व्यक्ति की जन all'avore a
शनि देव के क्रुद्ध होने पर विविध विघ्न और संकट Per esempio, प्राणों के जाने तक का भय उत्पन्न हो जात ा है और वहीं शनि देव के प्रसन्न होने पर सुख, समृद ्धि, स्वास्थ्य की वृद्धि के साथ ही प्रशासनिक व न ्याय, नेतृत्व करने की क्षमता में वृद्धि होती है।
शनिवार का व्रत भी अन्य व्रतों के समान ही है, फिर भी इस व्रत में बहुत सावधानी अपेक्षित होती है है है है है है है है है यह व्रत शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से प all'avore a
प्रातः काल स्नान Schose पूजा स्थान साफ करके शनिदेव मूर्ति, या चित्र व यंत्र रखें साथ में भगवान शंकर, गणेश, राहु-केतु व सद all'avore शनिदेव के चित्र के साथ ही हनुमान जी का चित्र रखना आवश्यक होता है
सारी व्यवस्था करने के पश all'avore a शनि ध्यान सम्पन्न करें-
शनि माला से निम्न मंत्र 5 माला जप सम्पन्न करेंं
संकल्पित व्रत पूर्ण होने पर अंतिम शनिवार को पूजन पश all'avore शनिदेव का रंग काला है अतः उन्हें काले ही रंग की वस्तुओं का भोग लगाया जाता है जिसमें कµ इस दिन तांबे या लोहे के कीले ब बरतन में सरसों का तेल, काली छतरी, काला कंबल, काले तिल द द में दिये जाते है है
सौर मण्डल में सबसे तेजस्वी ग्रह सूर्य देव है, इनके व्रत से व्यक्ति तेजस्वी होता है, कार्य-क्षेत्र, मान-सम्मान में बढोतरी होती है, मनोबल बढ़ता है, वर्चस्व स्थापित होता है, शत्रु पर विजय प्राप्त होती है, व अन्य मानसिक कष्ट दूर होते है। यह व्रत किसी भी प्रकार के चर्मरोग से मुक्ति दिहहाा
रविवार के बारह व्रतों का संकल्प लिया जाता है। सूर्योदय व सूर्यास्त के सू सूरrnoय नारायण का रंग लाल होता है, अतः रविवार के व्रत में ल लाल रंग की वस वस को प प में ल लाया जा त है।
रविवार के दिन सवेरे स all'avore पूजा स्थल को स्वच्छ कर भगवान सूर्य, भगवान गणपति, सद्गुरू की मूर्ति अथवा चित all'avore धूप, दीप, नैवेद्य, लाल रंग के पुष्प, केसर, लाल वस्त्र आदि भगवान को अर्पित कर पूजन आरंभ करें। भगवान सूर्य का ध्यान करें-
सूर्य मणि माला से निम्न सूर्य मंत्र 7 मी माला जप।े
अंतिम रविवार को पूजन पश all'avore भोजन सूर्यास्त से पहले ग्रहण करें।
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