ऐसी एक भी लड़की नहीं मिलेगी, जिसके मन में बहुमुखी प प्रतिभा सम all'avore तब उसे यह एहसास घेरने लगता है, कि अब समय आ गयµi सर्वप्रथम उसे दिखाई देता है।
भारतीय नारी के मन में तथा पुरूष के मन भी यह भावना बहुत ही गहराई के साथ बैठी हुई, कि पति-पतebनी दो होते हुये भी एक एक हैं।।।। हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं इसी तथ्य को लेकर कहा गया है- पति-पत एक ही गाड़ी के दो दो पहिये होते हैं, इस प्रकार समझना चाहिये।
पति अर्थोंपार्जन के कार्यों को अच्छी तरह सम्भालता है, समाज में अपनी तथµ नारी को शक्ति रूपा कहा गया है, और यह भी सत्य है, कि नारी जो एक बार निश्चय कर लेती, उसे पूर्ण करती ही है है।।। है है है है है है है है है है है है है है है tivamente
सदियो पूर्व से ही नारी की इच all'avore नारी रूपी सावित्री के अन्दर इतनी क्षमता है, कि वह अपने पति को यमराज से भी छीन कर वापिस ला सकती है है नारी दृढ़ निश्चय स्वरूप से र राक्षसों को भस्मीभूत कर देती हैं और काल को भी बाध्य होकर अपनी गति रोक देनी पड़ती है है है है है है है है है है है पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती पड़ती
वास्तविक सत्य भी यही है कि नारी शक्ति स्वरूूपा है यह बात अलग है, कि आज की नारी अपने इस स्वरूप को बिसरा बैठी है, इसीलिये तो वह तमाम तरह की परेशानियों से घिरी रहती है, किन्तु ऐसा नहीं है, कि आज नारी यदि ठान ले, तो अपने पूर्ण सौभाग्य को प्राप्त न कर सके ।
यह बात और है, कि आज की नारी समाज परम्परागत सिद्धांतो पर अधिक आरूढ़ हो रही है और मूल शक्ति, चितंन से विमुख हो ही रही है।। है है है है है है है है है है है tiva यही कारण है कि उसके जीवन में अधिक विषमतायें बनी हुयी हैं। वैवाहिक जीवन में जिस सुख-समृद्धि, प्रेम, उल्लास, आनन्द, अठखेलियां, आत्मीयता, सम्मान का वर्णन किया है, उसका अभाव उनके जीवन जीवन में बन बन है है हुआ इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके इनके tiva बल्कि एक समझौता हुआ और उसी समझौते के अनुरूप दोनों अपने-अपने जीवन को घसीट रहें है इसके कारण अनेक हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि मनोनुकूल जीवन साथ। नहीि ल।ि उसका स्वभाव, विचार एकदम भिन्न होता है। उसके आचरण, क्रिया-कलाप, चरित्र सात्विक नहीं होते हैं और आज के समय में तो पुरूष-नारी की समानता की वैच वैचारिक लड़ाई है है इससे तो हज हजरों घर बिखरे पड़े।। जबकि पति-पत्नी एक-दूसरे के पूरक हैं, इनके मध्य तो प्रतिस्पर्धा की कोई लड़ाई ही नहीं होनी चाहिये, फिर भी एक-दूसरे से श्रेष्ठ बनने की होड़ में दोनों अपने ही जीवन का विनाश कर रहें है। ऐसे में tiva
पूर्व समय में पत्नी की सिर्फ एक इच इच्छा होती थी कि उसका पति दीर्घायु हो और जब तक उसका स्वयं का जीवन है तब तक वह स साथ रहे रहे रहे रहे रहे रहे रहे रहे रहे रहे रहे रहे isce परन्तु समय के अनुरूप मान्यतायें बदल गयी हैं। अब पत्नी की यह इच्छा तो रहती ही है कि वह अखण्ड सौभाग्यवती बनी रहे, साथ ही उसकी यह भी इच्छा होती है कि उसका पति उसके इच्छाओं के अनुकूल हो, श्रेष्ठ आचरण, स्वभाव, सद्गुणों वाला, धन संग्रहित करने वाला हो। यदि ऐसा नहीं होता तो अक्सर दोनों के तन तना-तनी, क्लेश, कलह, लड़ाई-झगड़ा, मन-मुटाव बना रहता है। वहीं पति भी यदि प्रभावशाली tiva
कहने का तात्पर्य है कि उसकी पत्नी उसका सम्मान नहीं करती है समाज में, परिवार, मित all'avore
जीवन के इन आभावों को दूर कर amici इसीलिये महान् दिव्यतम पर्व पर करवा शक्ति प all'avore a जिससे हमारा जीवन साथी हमारे अनुकूल बन और उसके जो भी अवगुण हैं, वे सद्गुणों में परिवर्तित हो सके, पति पत पत्नी की इच्छा अनुकूल व्यवहारें औरें पतर पतर पत अपने सम सम मrigo
इस साधना के माध्यम से पति के अवगुणों का तेजी से ह्रास होता है यदि वह शराब पीता हो, अर्नगल कार्यों में लिप्त हो, किसी परायी स्त्री अथवा लड़की पर आसक्त हो या अपनी पत्नी से प्रेम ना रखता हो, उससे आत्मीयता ना हो, परिवार के प्रति गैर जिम्मेदार हो, तो धीरे-धीरे उसके स्वभाव में परिवर्तन आने लगता है और वह पूर्ण रूप से अपने गृहस्थ, अपने परिवार के लिये पूर्ण सहयोगी बन जाता है बच्चों और पत्नी को सुख पहुंचाने और उनकी सुविधाओं का पूरा ख्याल रखने लगता है
वहीं यदि ये साधना पति सम all'avore परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन सुचारू रूप से क करती है है
सबसे बड़ी बात इस साधना को सम्पन्न करने के बाद गृहस्थ जीवन में समझौते समझौते का भाव समाप¨ अर्थात् हमारे मधुर सम्बन्धों की नींव है। इसलिये यह साधना प्रत्येक गृहस्थ के लिये आवश्हैैैै क्योंकि जहां गृहस्थ पति-पत्नि इस साधना को सम्पन्न करते है तो मधुर प्रेम और आत्मीयता में वृद्धि होती है है है है है है है है है है है है है स Schose
करवा शक्ति पर्व गणपति शक्ति ऋद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ युक्त बुधवार को 04 नवम्बर को सायं 08 बजे के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर स्त्री पूर्ण सोलह श्रृंगार कर पूजा स्थान में पूर्ण सर्व सुख प्राप्ति यंत्र, करवा शक्ति लॉकेट और सम्मोहन सावित्री वशीकरण गुटिका स्थापित करें। A proposito di, धूप, दीप, चंदन और पुष्प से पूजन करेंी यदि संभव हो तो पति अथवा पत्नी जिसके लिये साधना सम्पन्न कर रहें हों, उसकी फोटो सामने स्थापित करें, साथ ही पूरे साधना काल में उसी फोटो पर त्राटक करते हुये भावना रखें कि यह पुरूष अथवा स्त्री मेरे मनोनुकूल रहे।
साथ ही जीवन की जो विषमतायें हैं, उसे क कागज पर लिखकर दीपक के नीचे रख दें दें फिर निम्न मंत्र का 25 मिनट तक जप करें।
पति-पत्नी दोनों संयुक्त रूप से साधना करें तो शीघ्र ही गृहस्थ जीवन में श्रेष्ठता आती ही है जिससे पूर्ण आत्मीय गृहस्थ सुख की प्राप्ति होतीीि साथ ही स्त्रियों के अखण्ड सुहाग की रक्षा होती है करवा चतुर्थी का व all'avore a जिससे पति का अपनी पत्नी के अलावा किसी भी पराई स all'avore यही क्रिया पति को भी सम्पन्न करनी चाहिये। साधना समाप्ति पर कागज को प्रज्ज्वलित दीपक से जला दें और सभी सा amici
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